दैनिक जागरण हिसार के 41 कर्मियों का टेर्मिनेशन का मामला
हिसार के 41 कर्मियों की टर्मिनेशन का 16 A की शिकायत सरकार ने 17 की शक्ति का प्रयोग करते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय आदेशानुसार 6 माह की समय सीमा के साथ न्यायनिर्णय हेतु लेबर कोर्ट हिसार भेज कर दोनों पक्षो को 29 जनवरी 2018 उपस्थित होने का निर्देश दिया। 2-3 तारीख के बाद न्यायालय के आदेशानुसार हम लोगों ने अपना क्लेम स्टेटमेंट दिया, जब उसका जबाब माँगा गया तो प्रबंधन ने प्लीमिनरी ऑब्जेक्शन लगाते हुए सरकार के रेफरेन्स को गलत बताते हुए केस डिसमिस करने को कहा। जज महोदय ने कहा कि पहले आप क्लेम स्टेटमेंट का जबाब दीजिये, इस दौरान सरकार ने same bearing no और date से रेफरेन्स की संशोधित करके 10 (1) C के तहत भेज दिया। 6वें मौके पर 24 मई को जबाब न मिलने पर एक आखिरी मौका देते हुए प्रबन्धन के वकील से लिखवा लिया कि यदि 31 मई जबाब नही दिया तो डिफेंस struck off होने पर उसे कोई आपत्ति नही होगी।
इस बीच प्रबन्धन हाई कोर्ट में पीटीशन लगाकर रेफरेन्स को चुनौती दी और लेबर कोर्ट की कार्यवाही पर स्टे की मांग की। दोनों जगह 31 मई की तारीख लगी। हाई कोर्ट ने कोई स्टे नही दिया और 23 जुलाई की तारीख लगा दी। इधर लेबर कोर्ट ने 31 मई को प्रबंधन का जबाब न मिलने पर डिफेंस struck off करके कर्मियो की गवाही के लिए 5 जुलाई की तारीख दे दी। परेशान प्रबंधन 23 जुलाई की सुनवाई को प्रीपोन कराने के लिए हाई कोर्ट गया, जो डिसमिस हो गया। दुबारा फिर हाई कोर्ट में नया केस लगाया, जिसमे लेबर कोर्ट के फाइनल निर्णय सुनाने पर 9 ऑक्टबर तक स्टे लगा। प्रबंधन फिर लेबर कोर्ट के डिफेंस struck off होने पर फिर हाई कोर्ट पहुँचा, जिसकी 30 जुलाई को तारीख थी, माननीय जज ने 20 हज़ार की कॉस्ट लगाते हुए लेबर कोर्ट में जबाब देने का एक अवसर दिया (अभी साइट पर ऑर्डर नही अपलोड हुआ है, कन्फर्म तभी होगा)।
नाम बड़े और दर्शन छोटे :
क्या विडम्बना है?
कहने को चौथा खंभा। बुद्धिजीवियो और संपादकों की फ़ौज इनके पास। इन धृतराष्ट्रों को कौन समझाए?
सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस |
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास ||
अर्थ : मंत्री, वैद्य और गुरु —ये तीन यदि भय या लाभ की आशा से (हित की बात न कहकर ) प्रिय बोलते हैं तो (क्रमशः ) राज्य,शरीर एवं धर्म - इन तीन का शीघ्र ही नाश हो जाता है|
मेरी तो यही कामना है कि ईश्वर सद्बुद्धि दे।
(बृजेश कुमार पाण्डेय)
#MajithiaWageBoardsSalary, MajithiaWageBoardsSalary, Majithia Wage Boards Salary
हिसार के 41 कर्मियों की टर्मिनेशन का 16 A की शिकायत सरकार ने 17 की शक्ति का प्रयोग करते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय आदेशानुसार 6 माह की समय सीमा के साथ न्यायनिर्णय हेतु लेबर कोर्ट हिसार भेज कर दोनों पक्षो को 29 जनवरी 2018 उपस्थित होने का निर्देश दिया। 2-3 तारीख के बाद न्यायालय के आदेशानुसार हम लोगों ने अपना क्लेम स्टेटमेंट दिया, जब उसका जबाब माँगा गया तो प्रबंधन ने प्लीमिनरी ऑब्जेक्शन लगाते हुए सरकार के रेफरेन्स को गलत बताते हुए केस डिसमिस करने को कहा। जज महोदय ने कहा कि पहले आप क्लेम स्टेटमेंट का जबाब दीजिये, इस दौरान सरकार ने same bearing no और date से रेफरेन्स की संशोधित करके 10 (1) C के तहत भेज दिया। 6वें मौके पर 24 मई को जबाब न मिलने पर एक आखिरी मौका देते हुए प्रबन्धन के वकील से लिखवा लिया कि यदि 31 मई जबाब नही दिया तो डिफेंस struck off होने पर उसे कोई आपत्ति नही होगी।
इस बीच प्रबन्धन हाई कोर्ट में पीटीशन लगाकर रेफरेन्स को चुनौती दी और लेबर कोर्ट की कार्यवाही पर स्टे की मांग की। दोनों जगह 31 मई की तारीख लगी। हाई कोर्ट ने कोई स्टे नही दिया और 23 जुलाई की तारीख लगा दी। इधर लेबर कोर्ट ने 31 मई को प्रबंधन का जबाब न मिलने पर डिफेंस struck off करके कर्मियो की गवाही के लिए 5 जुलाई की तारीख दे दी। परेशान प्रबंधन 23 जुलाई की सुनवाई को प्रीपोन कराने के लिए हाई कोर्ट गया, जो डिसमिस हो गया। दुबारा फिर हाई कोर्ट में नया केस लगाया, जिसमे लेबर कोर्ट के फाइनल निर्णय सुनाने पर 9 ऑक्टबर तक स्टे लगा। प्रबंधन फिर लेबर कोर्ट के डिफेंस struck off होने पर फिर हाई कोर्ट पहुँचा, जिसकी 30 जुलाई को तारीख थी, माननीय जज ने 20 हज़ार की कॉस्ट लगाते हुए लेबर कोर्ट में जबाब देने का एक अवसर दिया (अभी साइट पर ऑर्डर नही अपलोड हुआ है, कन्फर्म तभी होगा)।
नाम बड़े और दर्शन छोटे :
क्या विडम्बना है?
कहने को चौथा खंभा। बुद्धिजीवियो और संपादकों की फ़ौज इनके पास। इन धृतराष्ट्रों को कौन समझाए?
सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस |
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास ||
अर्थ : मंत्री, वैद्य और गुरु —ये तीन यदि भय या लाभ की आशा से (हित की बात न कहकर ) प्रिय बोलते हैं तो (क्रमशः ) राज्य,शरीर एवं धर्म - इन तीन का शीघ्र ही नाश हो जाता है|
मेरी तो यही कामना है कि ईश्वर सद्बुद्धि दे।
(बृजेश कुमार पाण्डेय)
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