खुलेआम हो रही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना
मध्यप्रदेश से प्रकाशित 31 अखबार मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद भी अपने यहां मजीठिया वेतन बोर्ड के आदेशों का न तो पालन किया न ही बकाया वेतन देने के संबंध में आज तक कोई कार्रवाई की। इतना ही नहीं श्रमायुक्त व्दारा दिए गए निर्देशों के बावजूद आज तक कोई जानकारी दी गई और न ही स्टेंडिंग आर्डर का पालन किया।
उक्त खुलासा जनवरी 2018 में आरटीआई के तहत मिली जानकारी में हुआ है। आरटीआई में सहायक श्रमायुक्त पत्थर गोदाम इंदौर ने बताया कि मध्यप्रदेश से प्रकाशित होने वाले 31 अखबारों में एक ने भी मजीठिया वेतन बोर्ड अपने यहां लागू नहीं किया। इतना ही नहीं वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की भी खुलआम अव्हेलना करते हुए 31 अखबारों में से एकमात्र अखबार ने स्टेंडिंग आर्डर करवाया है। सहायक श्रमायुक्त ने उक्त आरटीआई में 30 दिसम्बर 2017 को सुप्रीम कोर्ट में भेजी गई रिपोर्ट की कापी भी आरटीआई में दी है।
क्या कहते हैं कानूनविद
उक्त मिली आरटीआई की जानकारी के संबंध में कानूनविदों का कहना है उक्त जानकारी मजीठिया का केस लड़ने वाले पत्रकार और गैर पत्रकारों के लिए सोने पर सुहागा साबित होगी। क्योंकि प्रेस मालिकों के अभिभाषक अभी जिन मुद्दों पर आपत्ति ले रहे हैं वे तो खारिज हो रही है ऐसे में उक्त आरटीआई के माध्यम से माननीय श्रम न्यायालय को बताया जाएगा कि 7 वर्ष बावजूद भी अखबार मालिकों व्दारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया है। कानूनविदो का मानना है कि उक्त आरटीआई के माध्यम से हाईकोर्ट में भी प्रेस मालिकों को मुंह की खानी पड़ेगी तथा हाईकोर्ट में जज की फटकार भी सुनना पड़ सकती है।
(साभार: भारतीय पत्रकार एसोसिएशन)
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मध्यप्रदेश से प्रकाशित 31 अखबार मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद भी अपने यहां मजीठिया वेतन बोर्ड के आदेशों का न तो पालन किया न ही बकाया वेतन देने के संबंध में आज तक कोई कार्रवाई की। इतना ही नहीं श्रमायुक्त व्दारा दिए गए निर्देशों के बावजूद आज तक कोई जानकारी दी गई और न ही स्टेंडिंग आर्डर का पालन किया।
उक्त खुलासा जनवरी 2018 में आरटीआई के तहत मिली जानकारी में हुआ है। आरटीआई में सहायक श्रमायुक्त पत्थर गोदाम इंदौर ने बताया कि मध्यप्रदेश से प्रकाशित होने वाले 31 अखबारों में एक ने भी मजीठिया वेतन बोर्ड अपने यहां लागू नहीं किया। इतना ही नहीं वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की भी खुलआम अव्हेलना करते हुए 31 अखबारों में से एकमात्र अखबार ने स्टेंडिंग आर्डर करवाया है। सहायक श्रमायुक्त ने उक्त आरटीआई में 30 दिसम्बर 2017 को सुप्रीम कोर्ट में भेजी गई रिपोर्ट की कापी भी आरटीआई में दी है।
क्या कहते हैं कानूनविद
उक्त मिली आरटीआई की जानकारी के संबंध में कानूनविदों का कहना है उक्त जानकारी मजीठिया का केस लड़ने वाले पत्रकार और गैर पत्रकारों के लिए सोने पर सुहागा साबित होगी। क्योंकि प्रेस मालिकों के अभिभाषक अभी जिन मुद्दों पर आपत्ति ले रहे हैं वे तो खारिज हो रही है ऐसे में उक्त आरटीआई के माध्यम से माननीय श्रम न्यायालय को बताया जाएगा कि 7 वर्ष बावजूद भी अखबार मालिकों व्दारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया है। कानूनविदो का मानना है कि उक्त आरटीआई के माध्यम से हाईकोर्ट में भी प्रेस मालिकों को मुंह की खानी पड़ेगी तथा हाईकोर्ट में जज की फटकार भी सुनना पड़ सकती है।
(साभार: भारतीय पत्रकार एसोसिएशन)
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