कानपुर श्रम विभाग द्वारा हिंदुस्तान अखबार के कर्मचारियों का क्लेम पार्थना पत्र अखबार प्रबंधन की मिलीभगत से खारिज किया जा रहा है। बताया जाता है कि हिंदुस्तान के 7 लोगों ने कानपूर उप श्रमायुक्त कार्यालय में विगत 8 माह पहले क्लेम लगाया है लेकिन कार्यालय के बाबू व प्राधिकारी की मिलीभगत से सुनवाई के दिन गये लोगों के हस्ताक्षर न कराकर कार्रवाई बाद में लिखने को कह दिया जाता है और उसमें उन्हें अनुपस्थिति दिखा दिया जाता है जिससे कर्मचारी भी नही समझ पाता और अधिकारी मिलीभगत करके यह कारनामा कर रहे है। जानकारी हुई है पंकज कुमार की rti से मिली सुचना देखने पर। जिसमे प्राधिकारी rp तिवारी द्वारा 28/03/3017 को पक्ष को उपस्थित दिखाया गया औऱ 3/4/2017, 15/5/2017 सहित कई डेट पर स्वतः अनुपस्थित दिखाकर बाद को ख़ारिज किया जा रहा है। जिसमे बताया जाता है कि प्रबंधन से अच्छा माल कमाया जा रहा है।
सुझाव: ये साथी इसकी शिकायत श्रम सचिव से करें औऱ किसी कानून के जानकार से मिलकर उचित राय भी लें।
इसके अलावा इस मामले को देखते हुए जिन साथियों के रिकवरी या बर्खास्तगी आदि के केस श्रम कायार्लय में चल रहे उनसे अनुरोध है कि वे श्रम अधिकारी या कर्मचारियों की मीठी मीठी बातों में ना आएं और अपनी पूरी कार्रवाई को अपने सामने दर्ज करवाए औऱ हस्ताक्षर करने से पहले उसे ध्यान से पढ़े। यदि कोई आपत्तिजनक लाइन लिखी हो तो उसे हटवाने के बाद ही हस्ताक्षर करें। यदि आपके विरोध के बाद भी वह लाइन नही हटाई जाती तो आप उस लाइन को लेकर शीट पर अपनी आपत्ति दर्ज करें और उसके बाद अपने हस्ताक्षर करें। यह आपका कानूनी हक है और ऐसा करने से वे आपको रोक नही सकते। साथ ही अपने केस को लेकर कानून के जानकारो लगातार संपर्क में रहिए। जिससे आपका केस सही दिशा में चलता रहे।
सुझाव: ये साथी इसकी शिकायत श्रम सचिव से करें औऱ किसी कानून के जानकार से मिलकर उचित राय भी लें।
इसके अलावा इस मामले को देखते हुए जिन साथियों के रिकवरी या बर्खास्तगी आदि के केस श्रम कायार्लय में चल रहे उनसे अनुरोध है कि वे श्रम अधिकारी या कर्मचारियों की मीठी मीठी बातों में ना आएं और अपनी पूरी कार्रवाई को अपने सामने दर्ज करवाए औऱ हस्ताक्षर करने से पहले उसे ध्यान से पढ़े। यदि कोई आपत्तिजनक लाइन लिखी हो तो उसे हटवाने के बाद ही हस्ताक्षर करें। यदि आपके विरोध के बाद भी वह लाइन नही हटाई जाती तो आप उस लाइन को लेकर शीट पर अपनी आपत्ति दर्ज करें और उसके बाद अपने हस्ताक्षर करें। यह आपका कानूनी हक है और ऐसा करने से वे आपको रोक नही सकते। साथ ही अपने केस को लेकर कानून के जानकारो लगातार संपर्क में रहिए। जिससे आपका केस सही दिशा में चलता रहे।
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