देश भर के अखबारों के मालिकों के
खिलाफ मजीठिया वेजबोर्ड लागू करने के माननीय सुप्रीम कोर्ट में आदेश न मानने पर चल
रहे अवमानना मामले की सुनवाई एक बार फिर से शुरू होने जा रही है। पिछले दिनों
कोर्ट में सुनवाई की तिथियों में हुए फेरबदल के चलते 17 जनवरी को होने वाले सुनवाई टाल दी गई थी। तब से मजीठिया वेजबोर्ड
की लड़ाई लड़ रहे पत्रकार और गैरपत्रकार कर्मचारी सुनवाई की तिथि का बेसब्री से
इंतजार कर रहे थे। आज सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट में सिविल कंटेप्ट पेटिशन नंबर 411/2014 व इससे संबंद्ध दर्जनों अवमानना याचिकाओं के स्टेट्स को अपडेट
किया गया है। इसमें आगामी सुनवाई की संभावित तिथि 23 फरवरी 2017 दर्शाई गई है। इससे माना जा रहा है
कि आगामी 23 फरवरी को मामला लिस्टेट हो जाएगा और
सुनवाई फिर से निर्णयक दौर में पहुंच जाएगी।
ज्ञात रहे कि कार्पोरेट व मीडिया जगत
से जुड़ी सहारा जैसी बड़ी कंपनी के मालिक को जेल की हवा खिलाने के साथ ही निवेशकों
व कर्मियों की बकाया राशि दिलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ में
शामिल जस्टिस रंजन गोगोई की दो सदस्यीय खंडपीठ ही मजीठिया वेजबोर्ड के मामले की
सुनवाई कर रही है। जिस तरह से सहारा की एमबी वैली को जब्त करने को लेकर जस्टिस
रंजन गोगोई ने कड़ा रुख अपनाया है, उससे मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई लड़ रहे प्रिंट मीडिया के
कर्मचारियों को भी उनके वेतनमान की बकाया राशि व नया वेतनमान मिलने के अलावा उन पर
किए गए जुल्मों का न्याय जल्द मिलने की आस बंधी है। वहीं अखबार मालिकों की हर बार
बड़े-बड़े वकीलों के जरिये मामले को लटकाए रखने की रणनीति भी फेल होती दिख रही है।
यह मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच
चुका है। जस्टिस गोगोई कई बार कड़ा रुख भी दिखा चुके हैं। अब उन्होंने इस मामले से
जुड़े कानूनी पहलुओं पर सुनवाई शुरू की है, ताकि लंबे खिंचते इस मामले को जल्द निपटाया जा सके। पिछली बार की
सुनवाई में अखबार मालिकों का पक्ष सुन लिया गया है और इस बार याचिकाकर्ताओं का
पक्ष सुनने के बाद बड़ा फैसला आने की उम्मीद है। हालांकि मामला पेचिदा होने के
कारण निर्णय आने में कुछ समय भी लग सकता है, मगर अदालत के रूख से यह बात तो स्पष्ट दिख रही है कि अखबार
कर्मियों को न्याय जरूर मिलेगा।
-रविंद्र अग्रवाल, धर्मशाला (हिप्र)
9816103265
ravi76agg@gmail.com
मजीठिया:
रजिस्ट्री का आश्वासन जल्द सूचीबद्ध होगा मामला
http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/01/blog-post_18.html
लोकमत
प्रबंधन को मात देने वाले महेश साकुरे के पक्ष में आए विभिन्न अदालतों के आदेशों
को करें डाउनलोड http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/blog-post.html
http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/01/16f-20.html
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बढ़िया खबर। देखते है अागे क्या होता है
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