नोएडा डीएलसी में रिकवरी लगाने वाले
बहुत से साथी लापरवाही बरत कर अपना ही नुकसान कर रहे हैं। इनमें से कई साथियों को
बार-बार सूचित किए जाने पर भी वे अपनी डेट पर नहीं पहुंचते और जिससे उनकी लगातार
अनुपस्थिति दर्ज हो रही है और प्रबंधन की उपस्थिति। यदि वे इसी तरह अनुपस्थिति रहे
तो नुकसान उनका ही होगा। इनमें से कई कर्मियों की रिकवरी का रिज्वाइंडर दो डेट
पहले ही प्रबंधन ने दाखिल कर दिया है और वह डीएलसी में उनकी ही फाइल में लगा हुआ
है। कम से कम वे उसे लेकर उसका जवाब तो दे दें। जिससे कार्रवाई आगे चल सके।
इनमें से दो महिला सहकर्मियों ने
सितंबर की शुरुआत में ही क्लेम लगा दिया था, परंतु उनकी फाइल कहां है या उसका डायरी नंबर क्या है उसका कहीं
कुछ पता नहीं। तीन महीने बीतने के बाद भी इन दोनों सहयोगियों ने डीएलसी में झांका
तक नहीं। जबकि इन्हीं की एक सहयोगी ने इनके साथ ही उसी डेट में क्लेम लगाया था, उसकी तो कई डेट भी लग चुकी हैं। इनके अलावा कई साथियों ने रिकवरी
की कॉपी प्रबंधन को नहीं दी है। प्रबंधन हर डेट पर कॉपी मांगता है, जो कि उनको मिलती ही नहीं, क्योंकि हमारे साथी ही अनुपस्थिति रहते हैं।
सहायक श्रम आयुक्त एनके शुक्ल के
यहां जागरण व अन्य समाचार पत्रों के जिन कर्मियों की डेट 14 दिसंबर थी अब 23 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से हो गई है। ऐसा बताया जा रहा है शुक्ल के यहां अब मजीठिया
से जुड़े सभी साथियों के केस एक साथ एक ही डेट और समय (दोपहर 12 बजे) पर चलेंगे।
वहीं, दूसरे सहायक श्रम आयुक्त हरीशचंद्र (शायद यही नाम है) के यहां जिन
साथियों की डेट 15 दिसंबर थी, अब 4 जनवरी 2017 हो गई है।
नोएडा डीएलसी में कुछ साथियों को अपनी
रिकवरी का डायरी नंबर और सुनवाई की डेट पता करने के लिए भी काफी जद़दोजहद करनी
पड़ी थी। आप समझ सकते हैं इसका कहीं न कहीं फायदा प्रबंधन को ही मिलता है, इसीलिए लापरवाही न बरते और अपने केस को खुद कमजोर न करें। जिन्होंने रिकवरी की कॉपी प्रबंधन को नहीं दी है वे अपनी सुनवाई
की डेट में उसको लेकर आएं।
(एक पत्रकार साथी से प्राप्त तथ्यों
पर आधारित)
लोकमत
प्रबंधन को मात देने वाले महेश साकुरे के पक्ष में आए विभिन्न अदालतों के आदेशों
को करें डाउनलोड http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/blog-post.html
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