Saturday, 5 August 2023

प्रेस क्लब ने दी वरिष्ठ पत्रकार टिल्लन रिछारिया को भावभीनी श्रद्धांजलि


नई दिल्ली, 5 अगस्त। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आज वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक टिल्लन रिछारिया के आसमायिक निधन पर शोक व्यक्त किया गया। प्रेस क्लब में आयोजित शोक सभा में देश के जाने-माने पत्रकारों और लेखकों ने उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा में स्वर्गीय रिछारिया की धर्मपत्नी पुष्पा और उनके इकलौते पुत्र रवि भी मौजूद थे।

25 मार्च 1952 को जन्मे शिव शंभू दयाल रिछारिया उर्फ टिल्लन रिछारिया का निधन पिछले महीने 28 जुलाई को रतलाम में एक कार्यक्रम के दौरान हृदयगति रूक जाने से हुआ था। मूलतः चित्रकूट निवासी टिल्लन रिछारिया ने धर्मयुग, महान एशिया, ज्ञानयुग प्रभात, करंट, बोरीबंदर, हिंदी एक्सप्रेस, वीर अर्जुन, राष्ट्रीय सहारा, हरिभूमि, कुबेर टाइम्स आदि में काम किया था। टिल्लन रिछारिया हिन्दी पत्रकारिता में उन चुनिंदा पत्रकारों में से एक रहे जिन्होंने संभवतः सर्वाधि‍क अखबारों और मैग्जीनों में काम किया। 

श्रद्धांजलि सभा में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा, नेशनल यूनियन जर्नलिस्ट के अध्यक्ष राकेश थपलियाल, लोकेश शर्मा, सुनील श्रीवास्तव, विशंभर शुक्ला, गणेश गुप्ता, मुकुंद, सीमा, किरण, अलका सक्सेना, हरी मोहन मिश्रा, अशोक सूद और विष्णुगुप्त ने विचार व्यक्त किए। सभा में दैनिक भास्कर के वरिष्ठ पत्रकार एएस नेगी, दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार विवेक त्यागी, टोटल टीवी के वरिष्ठ पत्रकार राजेश रतूड़ी भी मौजूद थे। सभा का संचालन वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक एसएस डोगरा ने किया और शांति पाठ ज्ञानेंद्र सिंह ने किया।

Friday, 4 August 2023

वरिष्ठ पत्रकार टिल्लन रिछारिया को भावभीनी श्रद्धांजलि आज


नई दिल्ली, 5 अगस्त। वरिष्ठ पत्रकार टिल्लन रिछारिया को आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में भावभीनी श्रद्धांजलि दी जाएगी। श्रद्धांजलि सभा का आयोजन शाम 3 बजे होगा। शिव शंभू दयाल रिछारिया उर्फ टिल्लन रिछारिया ने पिछले महीने 28 जुलाई को अंतिम सांस ली थी। उनके निधन से पत्रकार जगत में शोक व्याप्त है।

25 मार्च 1952 में जन्मे टिल्लन रिछारिया ने धर्मयुग, महान एशिया, ज्ञानयुग प्रभात, करंट, बोरीबंदर, हिंदी एक्सप्रेस, वीर अर्जुन, राष्ट्रीय सहारा, हरिभूमि, कुबेर टाइम्स आदि में काम किया था। मूलतः चित्रकूट निवासी टिल्लन रिछारिया हिन्दी पत्रकारिता में उन चुनिंदा पत्रकारों में से एक रहे जिन्होंने संभवतः सर्वाधि‍क अखबारों और मैग्जीनों में काम किया। उनकी किसी भी किस्म की रचनात्मकता में समय, समाज और सभ्यता का स्पष्ट वेग रहा है। टिल्लन रिछारिया हिन्दी पत्रकारिता में टिल्लन रिछारिया कांसेप्ट, प्लानिंग, लेआउट और प्रेजेंटेशन अवधारणा को शुरु करने वालों में से रहे हैं। 

Thursday, 3 August 2023

मजीठियाः श्रम न्यायालयों में पीठासीन अधिकारियों के भरे जाएंगे पद


लखनऊ, 3 अगस्त। श्रम न्यायालयों में पीठासीन अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की कमी को शीघ्र दूर किया जाएगा। यह घोषणा श्रम मंत्राी अनिल राजभर ने आज पत्राकारों और गैर पत्राकारों के लिए गठित मजीठिया वेजबोर्ड के निर्णयों को लागू कराने के लिए गठित त्रिपक्षीय समीक्षा समिति की बैठक में की।

यह मामला बनारस से आए काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष और पत्रकारों के प्रतिनिधि योगेश गुप्त पप्पू और यू.पी. वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी ने उठाया। इन दोनों का कहना था कि स्टाफ की कमी के कारण पत्रकारों और गैर पत्रकारों के मुकदमों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। राजभर ने आश्वस्त किया कि स्टाफ की कमी शीघ्र दूर की जाएगी। इस संबंध में वह मुख्यमंत्री से भी बात करेंगे। उन्होंने बैठक में लिए गए निर्णयों को लागू कराने और समिति की बैठक हर तीन माह में बुलाने का भी निर्देश दिया।

बनारस से आए पत्रकार नेता योगेश गुप्त पप्पू ने मंत्री का ध्यान अखबारों में कार्यरत पत्रकारों को वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट के अनुरूप पद नाम न देने की तरफ दिलाया। इसका परिणाम यह हुआ है कि वाराणसी के एक वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय रमेन्द्र सिंह की विधवा को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोविड पीडि़तों के आश्रितों को राज्य सरकार द्वारा दी गई आर्थिक सहायता का लाभ नहीं मिल सका है। यू.पी. वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन द्वारा केस की पैरवी दो वर्षों से कर रही है।

सूचना निदेशक शिशिर ने घोषणा की कि सरकार ने मृतक की विधवा को दस लाख रूपये की आर्थिक सहायता देना स्वीकार कर लिया है। इसके लिए काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष योगेश गुप्त और सिद्दीकी ने सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।

श्रम मंत्री ने कहा कि बैठक में अखबार मालिकों को ऐसे प्रतिनिधियों को भेजना चाहिए जो जवाब देने की स्थिति में हो। उन्होंने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को कदम उठाने के निर्देश दिए।

यू.पी. न्यूज पेपर इम्पलाइज यूनियन के महामंत्री उमाशंकर मिश्र ने सुझाव दिया कि पत्रकारों संबंधी डाटा उपलब्ध कराने में सूचना विभाग अहम भूमिका निभा सकता है। इस सुझाव को श्रम मंत्री ने स्वीकार कर लिया। सूचना निदेशक शिशिर ने निर्देशों का पालन करने और पत्राकारों के हित में विभाग के काम करने का आश्वासन दिया।

बैठक में प्रमुख सचिव श्रम के अलावा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया। पत्रकारों के प्रतिनिधियों के रूप में हसीब सिद्दीकी, योगेश कुमार गुप्त, मुदित माथुर के अलावा विशेष आमंत्रित सदस्य चंद्र किशोर शर्मा ने भी भाग लिया।


Wednesday, 2 August 2023

मजीठियाः कर्मचारी यूनियनों को भी शामिल करें त्रिपक्षीय समिति में




नोएडा। लखनऊ में आज सुबह 11 बजे मजीठिया पर त्रिपक्षीय समिति की आज बैठक होने वाली है। बैठक से पहले इंडियन एक्सप्रेस इम्पलाइज यूनियन ने एक पत्र लिखकर समिति से अनुरोध किया है कि जब सभी सेवायोजक समिति के सदस्य हो सकते हैं, तो उन संस्थानों से संबंधित कर्मचारियों की यूनियनें क्यों नहीं। यूनियन के अध्यक्ष एनके पाठक ने समिति से अनुरोध किया है कि उनकी यूनियन को भी समिति का हिस्सा बनाया जाए।

यूनियन ने समिति को लिखे अपने पत्र में कर्मचारियों द्वारा श्रम कार्यालय या अन्य जगहों पर दायर वादों में आ रही समस्याओं का जिक्र किया है। यूनियन ने अपने पत्र में कहा है कि किस तरह से प्रबंधन वादों की कार्यवाही के दौरान निरर्थक विवाद पैदा कर उनमें व्यवधान डाल रहा है। यूनियन ने साथ ही आरोप लगाया है कि कर्मचारियों की न्यायोचित मांगे भी श्रम कार्यालय द्वारा अनदेखी की जा रही है। 

Tuesday, 1 August 2023

मीडियाकर्मियों के रिटायर होने की उम्र बढ़ी, सीएस नायडू के जब्बे को सलाम

नई दिल्ली, 2 जुलाई। साथियों, दिल्ली से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां पर इंडियन एक्सप्रेस के कर्मचारियों ने सेवानिवृत्ति के मामले में एक बड़ी जीत हासिल की है। आईटीओ स्थित राउज एवेन्यू की लेबर ट्रिब्यूनल ने सेवानिवृत्ति की उम्र मामले में इंडियन एक्सप्रेस वर्कर्स यूनियन, दिल्ली के पक्ष में फैसला दिया है।

लेबर ट्रिब्यूनल के माननीय जज अजय गोयल ने 2009 में दायर इस याचिका में 31 जुलाई 2023 को फैसला देते हुए सेवानिवृत्ति की उम्र 58 की जगह 60 साल करने की यूनियन की मांग को जायज ठहराया।

लेबर ट्रिब्यूनल ने साथ ही साथ ही दो माह के भीतर 15.10.2009 से रिटायर कर्मचारियों को दो साल का वेतन 8 फीसदी ब्याज के साथ देने का भी आदेश दिया है। 

इस याचिका को इंडियन एक्सप्रेस वर्कर्स यूनियन, दिल्ली के तत्कालीन पदाधिकारी और वर्तमान में इंडिया न्यूजपेपर्स इम्पलाइज फेडरेशन सचिव सीएस नायडू ने दायर किया था। वे लगातार इस केस को लेकर सक्रिय रहे और आज उनके प्रयासों की वजह से इंडियन एक्सप्रेस के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति मामले में एक बड़ी जीत हासिल हुई है। 

Saturday, 29 July 2023

पत्रकार साथियों के नाम एक खुली पाती


आज हम सभी को आत्म मंथन की जरूरत है। ऐसा क्या हुआ कि यूनियनें कमजोर से कमजोर होती चली गईं। क्यों नहीं यूनियनों को मजबूत करने पर ध्यान दिया गया। प्रबंधन हर मामले में एकजुट होता रहा और यूनियनें टूटती-बिखरती गईं। तकनीक के विकास के साथ मालिकन ने तालमेल बिठाया, परंतु यूनियनों का ढर्रा बदला नहीं। पुरानी यूनियनें संख्याबल से कर्मचारी हित में लंबी-लंबी लड़ाईयां लड़ती थी और जीत हासिल करती थीं। ना आज संख्याबल है और ना ही लड़ाई का वह जज्बा बचा है। आज भी यूनियनें नहीं चेती तो जो बची खुची हैं उनको भी सिमटने में वक्त नहीं लगेगा। 

आजतक के सारे वेजबोर्ड पुरानी यूनियनों की लडाई का ही नजीता है। वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट और मजीठिया वेजबोर्ड को बचाने की सुप्रीम कोर्ट में जंग भी इन्हीं यूनियनों ने लडी है और जीत हासिल की। फिर भी ऐसा क्या है कि यूनियनों में संख्या बल लगातार घटता जा रहा है।

 इसके पीछे ज्यादातर यूनियनों की दकियानूसी सोच, उनके कई पदाधिकारियों की निष्क्रियता, उनकी दूरदर्शी सोच में कमी, जयचंदों की बढती फौज। इन सबके बीच मजीठिया वेजबोर्ड की वजह से कर्मचारियों पर चला इतिहास का सबसे बड़ा दमनचक्र। हर वेजबोर्ड में 20जे था, परंतु इस बार कंपनियों ने इसका सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया और कर्मचारियों के वकीलों की फौज कुछ भी नहीं कर पाई और अवमानना याचिका में मात्र एक वकील के इर्दगिर्द घूमता केस और उस वकील का ये कहना कि मालिकों को जेल भेजकर क्या होगा, मालिकों के दमनकारी हौंसलों को और उड़ान दे गया। आज यूनियनें कह रही हैं कि संख्याबल नहीं बढ़ रहा। क्या उन्होंने इस पर मंथन किया है वे तभी आगे बढ़ सकते हैं जब वे कर्मचारियों की समस्याओं के निदान के लिए दिल से आगे आएं, उन्हें कानूनी सहायता उपलब्ध करवाएं। मजीठिया की वजह से आज हजारों पत्रकार-गैर पत्रकार अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए लड़ रहे हैं, क्या यूनियनें उनकी मदद के लिए आगे आईं, क्या उन्होंने न्याय दिलवाने में कोई योगदान दिया। इन सबका उत्तर है नहीं। जब नौकरी सुरक्षित नहीं होगी तो कोई कर्मचारी कैसे यूनियन से जुड़ेगा। लाखों रुपये अपने कार्यक्रमों में एक दिन में ही फूंकने का सामर्थ्य रखनेवाली यूनियनें चाहें तो ईमानदार वकीलों का एक पैनल तैयार कर सकती हैं, जो कर्मचारियों को न्याय दिलवाने में मदद कर सकते हैं, क्योंकि जल्द न्याय न मिलना भी कर्मचारियों का यूनियनों से दूरी बनाने का एक विशेष कारण है।


यूनियनें चाहें तो सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल के माध्यम से कर्मचारियों के हित में कई निर्णय करवा सकती हैं, परंतु वे आज के समय में केवल तमाशा देख रही हैं, कर्मचारियों की बर्बादी का। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में नागपुर की डबल बेंच के wja के सेक्शन 17 के मामले में एक निर्णय ने पूरे राज्य में चल रहे मजीठिया की रिकवरी के केसों का बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है। ऐसे में क्या खुद यूनियनों को कर्मचारियों के हित में आगे नहीं आना चाहिए, उनके जुड़े वकीलों को वहां के हजारों कर्मचारियों के हित में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटना चाहिए। ये केवल सेक्शन  17 का ही मामला नहीं है जहां कर्मचारी एक कोर्ट से दूसरी कोर्ट में भटकता है। उसके अलावा भी रेफेरेंस में डीएलसी की गलती और कई मुद्दे है जिसपर सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश उनकी अदालती लड़ाई की अवधि को कम कर सकते हैं। इस पर विस्तार से मंथन करना होगा और रणनीति बनानी होगी। 

एक संदेश, मजीठिया की लडाई लड़ रहे कर्मचारियों के लिए भी। उनको भी यूनियनों के साथ आना होगा, वे भी ये कह नहीं बच सकते कि यूनियनों ने उनके लिए किया क्या है, इन यूनियनों की वजह से ही तो मजीठिया से लेकर कई वेजबोर्ड धरातल पर आए हैं। उस लड़ाई के दौरान तो आप कहीं भी नजर नहीं आते थे। आप अपने उन नेताओं को भी पहचाने जो आपको कहते हैं, कि मजीठिया लेने के बाद हमें आगे कुछ नहीं करना है, हम क्यों यूनियनों का साथ दें। ऐसे नेता या तो उम्रदराज हो गए हैं या कहीं ना कहीं मालिकों से मिले हुए हैं। आपमें से बहुत से साथियों की नौकरी का एक लंबा काल बचा हुआ है और उस काल को आत्मसम्मान से जीने के लिए यूनियनों का साथ देना ही होगा। पुराने और नए को एकमंच के नीचे आकर नई सोच और ऊर्जा के साथ मालिकों को हर क्षेत्र में मात देनी होगी।

(वरिष्ठ पत्रकार की कलम से)

Friday, 28 July 2023

मीडिया संगठनों में अवैध छंटनी के खिलाफ संसद पर प्रदर्शन नौ को

अखबार, टीवी चौनल और अन्य मीडिया प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों को अवैध तरीके से निकाले जाने के विरोध में कन्फेडरेशन ऑफ न्यूजपेपर्स एंड न्यूज एजेंसी इम्पलाइज आर्गनाइजेशन ने नौ अगस्त को संसद भवन पर बड़ा प्रदर्शन करने की घोषणा की है।

कन्फेडरेशन की जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार इस प्रदर्शन में देश भर से मीडियाकर्मियों के संगठनों के नेता और प्रतिनिधि शामिल होंगे। प्रदर्शन के साथ ही उस दिन वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की बहाली और पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपे जाएंगे।

कन्फेडरेशन के अध्यक्ष रास बिहारी, महासचिव एम एस यादव और कोषाध्यक्ष एम एल जोशी ने बयान में कहा कि पूरे देश में जगह-जगह अखबार और समाचार चैनलों से पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर नौकरी से निकाला जा रहा है। इससे पहले कोरोना काल में महामारी के बहाने लाखों कर्मचारियों को मीडिया प्रतिष्ठानों से बिना मुआवजा दिए निकाला गया था। उन्होंने बताया कि कन्फेडरेशन की तरफ से वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की बहाली और पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग लगातार उठायी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के कारण अखबारों, संवाद समितियों और चैनलों के समक्ष आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है। इस कारण बड़ी संख्या में अखबार बंद हो रहे हैं। संवाद समितियों के सामने अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है।

कन्फेडरेशन से संबद्ध नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया के महासचिव प्रदीप तिवारी, इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन के अध्यक्ष श्रीनिवास रेड्डी, महासचिव बलबिन्दर जम्मू, इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के महासचिव परमानंद पांडे, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पीटीआई इम्पलाइज यूनियन के अध्यक्ष भुवन चौबे, यूएनआई वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव एम एम जोशी, ऑल इंडिया न्यूजपेपर्स इम्पलाइज फेडरेशन सचिव सी के नायडू, द ट्रिब्यून इम्पलाइज यूनियन चंडीगढ़ के अध्यक्ष अनिल गुप्ता और नेशनल फेडरेशन ऑफ न्यूजपेपर्स इम्पलाइज के अध्यक्ष ने बयान में कहा है कि दिल्ली में प्रदर्शन से पहले देश भर में मीडियाकर्मियों के मुद्दों पर जगह जगह बैठकें आयोजित की जाएंगी।