दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को मजीठिया से जुड़े एक मामले में लीविंग मीडिया के प्रबंधन को झटका दिया और मामले को छह महीने में निपटाने का आदेश दिया। अदालत ने एक कर्मचारी की पैरवी कर रहे वकील फिडेल सेबास्टियन की दलीलों पर गौर करते हुए प्रबंधन पर दस हजार का हर्जाना भी लगाया।
लीविंग मीडिया ने मजीठिया की मांग करने पर नौकरी से निकाले गए एक कर्मचारी का मामला यहां लेबर कोर्ट में चल रहा है। प्रबंधन सुनवाई प्रक्रिया में देर करने की लगातार कोशिश करता आ रहा है। कर्मचारी से जिरह करने की प्रक्रिया को लंबे समय तक लटकाए रखने के लिए प्रबंधन की तरफ से चार तारीखें ली गईं। उसके बाद भी जिरह पूरी नहीं की गई। जज ने इसके आगे तारीख देने से मना कर दिया और उक्त कर्मचारी का जिरह बंद करा दी।
प्रबंधन ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की। जिसकी सुनवाई जस्टिस संजीव सचदेव की अदालत में थी। अदालत में कर्मचारी की तरफ से प्रबंधन की देर करने की कोशिशों का पुरजोर विरोध किया गया और सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया गया जिसमें मजीठिया से जुड़े मामले को छह महीने में निपटाने को कहा गया है।
इसके बाद अदालत ने प्रबंधन पर दस हजार रुपये का हर्जाना लगाया और कर्मचारी से जिरह करने की इजाजत देते हुए मामले का निपटारा किया। साथ ही, निचली अदालत में चल रहे इस मामले का निपटारा छह महीने के भीतर करने का आदेश दिया।
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