जो लड़ेगा, वो पाएगा, जो सोएगा, वो खोएगा
मजीठिया मामले में अखबार कर्मियों की जीत और मालिकों की हार का सिलसिला जारी है। लगभग तीन वर्षों से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे दैनिक भास्कर दिल्ली के 13 कर्मचारियों को मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतनमान और रिकवरी का रास्ता साफ हो गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएलसी की प्रोसीडिंग पर लगे स्टे पर निर्णय सुनाते हुए निर्देश दिया है कि डीएलसी दो माह में केस का रेफरेंस लेबर कोर्ट को भेजे और लेबर कोर्ट 6 माह में फैसला सुनाए। हाईकोर्ट में मैनेजमेंट की तरफ से कई वकीलों ने डीएलसी की प्रोसीडिंग खारिज करने के लिए जिरह की। कर्मचारियों की तरफ से श्रमिकों के जाने-माने वकील परमानंद पांडे ने जोरदार तरीके से उनका पक्ष रखा।
गौरतलब है कि मजीठिया से बचने के लिए दैनिक भास्कर मैनेजमेंट अपना संपादकीय कार्यालय दिल्ली से उठाकर रेवाड़ी भाग गया था और मजीठिया वेतनमान की मांग कर रहे कर्मचारियों का तबादला दूर-दराज अन्य राज्यों में कर दिया था। बाद में इन कर्मचारियों की सेवाएं भी समाप्त कर दी गईं। कर्मचारियों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मजीठिया वेतनमान और रिकवरी के लिए डीएलसी का दरवाजा खटखटाया था। मैनेजमेंट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की परवाह न करते हुए डीएलसी की प्रोसीडिंग पर दिल्ली हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। करीब डेढ़ साल से यह मामला हाईकोर्ट में लंबित था। 2 मई को माननीय हाईकोर्ट ने स्टे पर निर्णय सुनाते हुए डीएलसी और लेबर कोर्ट को साफ-साफ शब्दों में निर्देश दिए हैं। इस फैसले में सभी कर्मचारियों के लिए संदेश है कि जो लड़ेगा, वो पाएगा और जो सोएगा, वो खोएगा।
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मजीठिया मामले में अखबार कर्मियों की जीत और मालिकों की हार का सिलसिला जारी है। लगभग तीन वर्षों से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे दैनिक भास्कर दिल्ली के 13 कर्मचारियों को मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतनमान और रिकवरी का रास्ता साफ हो गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएलसी की प्रोसीडिंग पर लगे स्टे पर निर्णय सुनाते हुए निर्देश दिया है कि डीएलसी दो माह में केस का रेफरेंस लेबर कोर्ट को भेजे और लेबर कोर्ट 6 माह में फैसला सुनाए। हाईकोर्ट में मैनेजमेंट की तरफ से कई वकीलों ने डीएलसी की प्रोसीडिंग खारिज करने के लिए जिरह की। कर्मचारियों की तरफ से श्रमिकों के जाने-माने वकील परमानंद पांडे ने जोरदार तरीके से उनका पक्ष रखा।
गौरतलब है कि मजीठिया से बचने के लिए दैनिक भास्कर मैनेजमेंट अपना संपादकीय कार्यालय दिल्ली से उठाकर रेवाड़ी भाग गया था और मजीठिया वेतनमान की मांग कर रहे कर्मचारियों का तबादला दूर-दराज अन्य राज्यों में कर दिया था। बाद में इन कर्मचारियों की सेवाएं भी समाप्त कर दी गईं। कर्मचारियों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मजीठिया वेतनमान और रिकवरी के लिए डीएलसी का दरवाजा खटखटाया था। मैनेजमेंट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की परवाह न करते हुए डीएलसी की प्रोसीडिंग पर दिल्ली हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। करीब डेढ़ साल से यह मामला हाईकोर्ट में लंबित था। 2 मई को माननीय हाईकोर्ट ने स्टे पर निर्णय सुनाते हुए डीएलसी और लेबर कोर्ट को साफ-साफ शब्दों में निर्देश दिए हैं। इस फैसले में सभी कर्मचारियों के लिए संदेश है कि जो लड़ेगा, वो पाएगा और जो सोएगा, वो खोएगा।
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