अखबारों में तैनात पत्रकार व गैर पत्रकार कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल न करने पर चल रहे अवमानना मामले में 23 अगस्त को हिमाचल प्रदेश के लेबर कमीश्रर के तौर पर आईएएस, अमित कश्यप सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए। कोर्ट में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मणिपुर व नागालैंड सहित हिमाचल के लेबर कमीश्रर को उनके राज्य में मजीठिया वेज बोर्ड लागू किए जाने की रिपोर्ट सहित तलब किया गया था।
दो बजे रखी गई मामले की सुनवाई के दौरान
जस्टिस रंजन गोगोई व जस्टिस पीसी पंत की खंडपीड ने सबसे पहले उत्तर प्रदेश से
शुरुआत की। जिसमें उत्तर प्रदेश के लेबर कमिशनर को भी काफी सुनना पड़ा। हिमाचल का
नंबर आने पर जस्टिस रंजन गगोई ने जब रिपोर्ट पढ़ी तो उन्होंने इस पर कड़ी
प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए लेबर कमीश्रर अमित कश्यप की खिंचाई शुरू कर दी और काफी
फटकारा। कोर्ट ने लेबर कमीश्रर से कहा कि रिपोर्ट ऐसे तैयार होती है। इसके बाद
उन्होंने एक के बाद एक इश्यू पर लेबर कमीश्रर को खरी खोटी सुनाते हुए अगली बार
हिमाचल प्रदेश के समस्त समाचार पत्रों में मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वेतनमान दिए
जाने से संबंधित पूरा रिकार्ड प्रस्तुत करने को कहा। इसके साथ ही अब हिमाचल प्रदेश
में अखबार मालिकों की झूठी रिपोर्टों के आधार पर कोर्ट में गलत जानकारी दे रहे
श्रम विभाग की खटिया खड़ी होना निश्चित हो गया है। वहीं अखबार मालिकों के लिए अब
मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा
है। अब देखना यह है कि चार अक्तूबर को रखी गई अगली पेशी में लेबर कमीश्रर हिमाचल
प्रदेश किस तरह खुद को बचा पाते हैं।
जागरण प्रबंधन की हुई बोलती बंद
हिमाचल प्रदेश की सुनवार्इ के दौरान जब
दैनिक जागरण की बारी आई तो प्रबंधन के वकील जस्टिस गोगोई को अपने तर्कों से संतुष्ट
नहीं कर सके। जिस पर खंडपीठ ने जागरण प्रबंधन को सख्त चेतावनी देते हुए मजीठिया
वेजबोर्ड को सभी कर्मचारियों पर लागू करने को कहा और ऐसा नहीं होने पर उन्हें जेल
भेज देने की चेतावनी दी। जिसके बाद उनके वकीलों की एक बार को बोलती ही बंद हो गई।
उल्लखेनीय है कि हिमाचल प्रदेश की
सुनवाई के दौरान जस्टिस गोगोई का कड़ा रुख इसलिए भी सामने क्योंकि हिमाचल प्रदेश
के साथियों ने लेबर विभाग की कमियों और प्रबंधन की गड़बड़ियों के काफी सबूत एकत्र कर
वकील गोलिन के पास अपनी एक टीम दिल्ली भेजकर पहुंचाएं थे। जिसका उल्लेख
कर्मचारियों की संख्या आदि का जज साहब ने सुनवाई के दौरान भी किया।
रविंद्र अग्रवाल (धर्मशाला)
9816103265
ravi76agg@gmail.com
मजीठिया: वाह...!!! री उत्तराखंड
सरकार... सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले ही कर दी जांच! एरियर व बर्खास्तगी के
मामले गोल...! http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/blog-post_11.html
मजीठिया: समझौतों को फरवरी 2014 के फैसले में खारिज चुका है सुप्रीम कोर्टhttp://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/2014.html
मजीठिया: 20जे तो याद, परंतु नई भर्ती को भूले, अवमानना तो हुई है http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/20_17.html
#MajithiaWageBoardsSalary,
MajithiaWageBoardsSalary, Majithia Wage Boards Salary
No comments:
Post a Comment