साथियों, जैसा कि आप सभी को पता है कि 14 मार्च 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया वेजबोर्ड
के लाभ प्राप्त करने की अभिलाषा रखने वालों और उनके उत्पीड़न व बर्खास्तगी के
मामलों में सभी राज्यों के श्रमायुक्तों से रिपोर्ट मांगी है। और हममें से कइयों ने मजीठिया को लेकर
रिकवरी लगा रखी है या अपनी बर्खास्तगी या उत्पीड़न को लेकर उपश्रमायुक्त से लेकर
विभिन्न अदालतों में लड़ाई लड़ रहे हैं।
ऐसे
में सभी पत्रकार साथियों से अनुरोध है कि जिनके मामले उप श्रमायुक्त के यहां से
रेफर होकर इंडिस्ट्रयल टि्ब्यूनल, नेशनल टि्ब्यूनल या श्रम अदालत में
चले गए हैं या जिन्होंने सिविल अदालत या विभिन्न हाईकोर्टों में अपने मामले लगा
रखे हैं वे अपने वकील के माध्यम से 14 मार्च 2016 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में
अपने राज्य के श्रम आयुक्त को सीधे या फिर उप श्रमायुक्त कार्यालय के माध्यम
से अपने केस के बारे में लिखित जानकारी दें और उसकी प्राप्ति की कापी जरुर
लें।
जिससे
सुप्रीम कोर्ट में जमा करवाने के लिए अपनी-अपनी रिपोर्ट तैयार करते समय श्रमायुक्तों
द्वारा आपके केसों के तथ्यों का भी ध्यान रखा जाए। इसका मुख्य कारण है कि
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के श्रमायुक्तों को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है
ना कि निचली अदालतों को। ऐसे में आपको खुद ही यह जानकारी श्रमायुक्तों तक
पहुंचानी होगी।
ऐसे
ही विभिन्न राज्यों में कार्यरत बहुत सारे साथियों ने फार्म सी तो भरा था, परंतु उन्होंने किसी भी उपश्रमायुक्त
कार्यालय में रिकवरी नहीं डाली थी। उनसे अनुरोध है वे इस मामले में उपश्रमायुक्त
को 14
मार्च 2016 के
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए जानकारी मांगें और उनसे अपनी रिपोर्ट
भेजने के दौरान इन तथ्यों का भी ध्यान रखने का अनुरोध करें। यदि आप ऐसा खुद नहीं
कर पा रहे हैं तो अपने जिले या राज्य में मौजूद पत्रकार संगठनों के माध्यम से भी
यह कर सकते हैं।
आप
सबसे से अनुरोध है कि आप इस मामले में ज्यादा ढिलाई न बरतें क्योंकि राज्यों के
श्रमायुक्तों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिपोर्ट सौंपने की अंतिम तिथि नजदीक आ रही
है।
(मप्र
के एक पत्रकार साथी की रिपोर्ट पर आधारित)
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