Friday, 28 July 2023

नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार टिल्लन रिछारिया


वरिष्ठ पत्रकार टिल्लन रिछारिया नहीं रहे। टिल्लन जी का पूरा नाम शिव शंकर दयाल रिछारिया है। टिल्लन रिछारिया अपने पीछे पत्नी पुष्पा, पुत्र रवि, बहू और नाती को छोड़ गए हैं। टिल्लन रिछारिया ने धर्मयुग, महान एशिया, ज्ञानयुग प्रभात, करंट, बोरीबंदर, हिंदी एक्सप्रेस, वीर अर्जुन, राष्ट्रीय सहारा, हरिभूमि, कुबेर टाइम्स आदि में काम किया था।


राजू मिश्र-

टिल्लन रिछारिया नहीं रहे। सुनकर बड़ा अजीब सा लगा। वह उज्जैन जा रहे थे। बचपन से ही उनका सान्निध्य रहा। चित्रकूट से जब भी वापसी होती, भाभी के बनाये पराठे और आचार खिलाकर ही कुतुब एक्सप्रेस में बैठने देते। हम दोनों ने बहुत यात्राएं भी की। वह जिन-जिन अखबार या पत्रिकाओं में रहे, हमको बराबर स्थान दिलवाते रहे।

परसों सुनील दुबे पर केंद्रित पुस्तक में लेख छपा देख फोन किया तो बहुत खुश हुए थे। ‘मेरे आसपास के लोग’ किताब में उन्होंने लंबी संगत का जिक्र भी किया है। अभी मुकुंद के फोन से यह मनहूस जानकारी मिली तो सहसा विश्वास नहीं हुआ। परमात्मा शिव शंभु दयाल रिछारिया उपाख्य टिल्लन रिछारिया को अपने श्रीचरणों में सबसे निकट स्थान प्रदान करें। विनम्र श्रद्धांजलि।

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PANKAJ SWAMY

सातवें-आठवें दशक में जबलपुर के चर्चित अखबार ज्ञानयुग (पूर्व में हितवाद) के सह संपादक टिल्लन रिछारिया (पूरा नाम श‍िवशंकर दयाल रिछारिया) का गत दिवस निधन हो गया। वे मूलतः चित्रकूट के रहने वाले थे लेकिन यायावरी तबियत के होने के कारण उनका जबलपुर आना हुआ था। उनकी किसी भी किस्म की रचनात्मकता में समय, समाज और सभ्यता का स्पष्ट वेग रहा।

टिल्लन रिछारिया हिन्दी पत्रकारिता में उन चुनिंदा पत्रकारों में से एक रहे जिन्होंने संभवतः सर्वाधि‍क अखबारों व मैग्जीन में काम किया। हिन्दी पत्रकारिता में टिल्लन रिछारिया कांसेप्ट, प्लानिंग, लेआउट और प्रेजेंटेशन अवधारणा को शुरु करने वालों में से रहे। इसका भरपूर प्रवाह राष्ट्रीय सहारा के ‘उमंग‘ और ‘खुला पन्ना‘ में 1991 से 1995 तक देखने को मिला। भाषा की रवानी, कथ्य की कहानी, आकर्षक फोटो और ग्राफिक्स से सजे धर्मयुग, करंट, राष्ट्रीय सहारा के उमंग और खुला पन्ना के वे पन्ने हालांकि इतिहास के झरोखे से उन लोगों के जेहन में अभी भी झांकते हैं जो उस दौर के हिन्दी-प्रवाह के साथ आँख खोल कर चले और आज भी अतीत की उस श्रेष्ठता को सराहने में झेंपते नहीं।

टिल्लन रिछारिया इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप मुम्बई के हिन्दी एक्सप्रेस, करंट, धर्मयुग, पूर्वांचल प्रहरी (गुवाहाटी) वीर अर्जुन, राष्ट्रीय सहारा, हरिभूमि (नई दिल्ली) में स्थानीय सम्पादक, दैनिक भास्कर (नई दिल्ली) में वरिष्ठ सम्पादक, आईटीएन टेली मीडिया मुम्बई, एन सी आर टुडे के एसोसिएट एडिटर व प्रबंध सम्पादक रहे। फिलहाल आयुर्वेदम पत्रिका के प्रधान संपादक थे।

टिल्लन रिछारिया जबलपुर से बहुत प्यार करते थे। वे कहते थे कि जबलपुर प्रेम व आनंद का सिद्ध तीर्थ है। उनको भी इस रस राग और तिलिस्मात से भरे शहर ने अपनी छांव में कुछ समय रहने का मौका दिया। टिल्लन पूरी दुनिया घूम लिए लेकिन उनका कहना था कि गहन आत्मीयता से भरा जबलपुर शहर पल भर में ही अपना दीवाना बना लेता है। उन्होंने कभी लिखा था-‘’ हमें आये अभी एक दो दिन ही हुए थे कि दफ्तर के पास की चाय पान की दुकान में देखिए दिलफरेब स्वागत होता है।

साथियों से नाम सुनते ही पान वाले बोले... अरे टिल्लन जी आप आ गये। बम्बई से पूनम ढिल्लन जी का फोन था कि भाई साहब का ख्याल रखना। इस शहर में आपका स्वागत है, हम हैं न।.... अरे हां, राखी भेजी है आप के लिए, अभी लाकर देता हूँ।.... जबलपुर ज्यादा देर आपको अजाना नहीं रहने देता।‘’ जबलपुर में टिल्लन रिछारिया के यारों के यार में राजेश नायक, चैतन्य भट्ट, राकेश दीक्ष‍ित, ब्रजभूषण शकरगाए, अशोक दुबे थे। टिल्लन रिछारिया को श्रद्धांजलि।

9425188742

pankajswamy@gmail.com

(Source: Bhadas4media.com)

Tuesday, 25 July 2023

मजीठियाः नोएडा में दैनिक जागरण फिर लगा झटका, 24 कर्मियों को देना होगा 5.79 करोड़, देना होगा 7% ब्याज


साथियों, नोएडा से फिर एक और बड़ी खबर आ रही है। यहां के श्रम न्यायालय ने 21 जुलाई को मजीठिया के 24 मामले में कर्मियों के पक्ष में फैसला दिया है। ये राशि दो माह के भीतर देय तिथि से 7 प्रतिशत ब्याज के साथ देनी होगी। इन 24 कर्मियों की बकाया राशि 5,78,90,729 रुपये बनती है। 

7 नवंबर 2022 को 57 कर्मियों के मजीठिया की रिकवरी केस हारने के बाद से जागरण प्रबंधन की हार का सिलसिला लगातार जारी है। इसी महीने की 13 तारीख को जागरण प्रकाशन लिमिटेड के नई दुनिया मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू लेबर कोर्ट ने धनंजय सिंह को मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों का अधिकारी मानते हुए उसके पक्ष में 10.38 लाख की राशि का अवार्ड पारित किया था, अदालत ने साथ ही 9 प्रतिशत ब्याज का आदेश भी दिया था। इस तरह जागरण के लिए इसी महीने में ये दूसरा झटका है। नोएडा लेबर कोर्ट के इस आदेश के बाद अब तक नोएडा के 118 और दिल्ली का एक मामला मिलाकर 119 कर्मियों के पक्ष में फैसला आ चुका है। अदालत से इन कर्मियों के पक्ष में 19 करोड़ से अधिक का अवार्ड पारित हो चुका है। जिस पर प्रबंधन को ब्याज भी देना होगा।

हर बार की तरह जागरण प्रबंधन ने इन मामलों को भी लंबा खींचने की कोशिश की, लेकिन कर्मचारियों के प्रतिनिधि राजुल गर्ग ने अदालत के समक्ष पक्ष रखते हुए उसकी इस कोशिश को भी नाकाम कर दिया। 

अवार्ड की राशि निम्न अनुसार है....

1 मुरारी शरण 3609022

2 सुरेंद्र प्रताप सिंह 1770271

3 कृष्ण मोहन त्रिवेदी 2148230

4 ललित कुमार कम्बोज 2660389

5 राज कुमार उपाध्याय 1829995

6 सत्य प्रकाश मिश्रा 1812520

7 विकास चौधरी 1882836

8 राजेन्द्र कुमार जैन 2298160

9 ललित मोहन विष्ट 1695618

10 अरुण कुमार बरनवाल 2834470

11 आशुतोष कुमार 1700666

12 त्रिलोकी नाथ उपाध्याय 4092129

13 प्रेमपाल सिंह 3304652

14 प्रशांत कुमार गुप्ता 1878559

15 भूपेंद्र सिंह 2118775

16 अनिल कुमार तिवारी 1658869

17 भगवान दास तिवारी 1725227

18 पवन कुमार दुबे 1602969

19 प्रमोद कुमार शर्मा 2731408

20 अरुण शुक्ला 1766728

21 प्रदीप कुमार ठाकुर 2341633

22 नरेंद्र चांद 2895131

23 जगजीत राणा 2946497

24 योगिनी खन्ना 4585975

Monday, 17 July 2023

मजीठियाः अब दिल्ली में जागरण को झटका, धनंजय को देने होंगे 10.38 लाख, मिलेगा 9 फीसदी ब्याज


नई दिल्ली, 17 जुलाई। साथियों, मजीठिया के रिकवरी मामले में दिल्ली से एक बडी खबर आ रही है। यहां पर जागरण प्रकाशन लिमिटेड को नोएडा के बाद एक और झटका लगा है। यहां के आईटीओ में स्थित राउज एवेन्यू लेबर कोर्ट ने 13 जुलाई 2023 को जागरण प्रकाशन लिमिटेड के समाचार पत्र नई दुनिया में कार्यरत रहे धनंजय कुमार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 10,38,192 रुपये का अवार्ड पारित किया है। इसके साथ ही अदालत ने कंपनी को इस राशि पर 9 फीसदी ब्याज देने का भी आदेश दिया है। अदालत ने साथ ही लिटिगेशन के रूप में कंपनी को एक महीने के भीतर धनंजय को 35 हजार रुपये देने का भी आदेश दिया है।

दिल्ली में कार्यरत धनंजय कुमार नोएडा और दिल्ली में जागरण प्रकाशन लिमिटेड के खिलाफ मजीठिया की रिकवरी मामले में केस लगाने वाले सबसे पहले दो साथियों में से एक थे। जागरण प्रकाशन लिमिटेड ने धनंजय को अपना कर्मचारी मानने से इनकार किया था। इसके अलावा कंपनी ने न्यायिक क्षेत्राधिकार पर भी सवाल खड़े किए थे। धनंजय के मामले में डीएलसी ने सबसे आरआरसी जारी की थी, जिसे कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और केस को 17-2 के तहत लेबर कोर्ट रेफर करने की मांग की थी। जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएलसी को मामले को 17-2 के तहत लेबर कोर्ट रेफर करने का आदेश दिया था।

Tuesday, 4 July 2023

बड़ी खबर; 75 अखबार कर्मियों की बर्खास्तगी गैर कानूनी, 12 फीसदी ब्याज के साथ बकाये का आदेश

 


पटना श्रम न्यायालय कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला


टाइम्स ऑफ इंडिया के 75 कामगारों एवं पत्रकारों का नौकरी से निकालने का फैसला गैर कानूनी

12 प्रतिशत सूद के साथ  बकाया भुगतान करने का आदेश


टाइम्स ऑफ इंडिया के 75 पत्रकार एवं गैर कामगारों ने पिछले 11 वर्षों से चल रहे मनिसाना और मजीठिया वेज बोर्ड के कार्यान्वयन तथा डिसमिस के खिलाफ ऐतिहासिक जीत दर्ज की है।

पटना श्रम न्यायालय में 2012 से ही चल रही सुनवाई पर न्यायाधीश श्री ॠषि गुप्ता ने अपने 140 पन्ने के जजमेंट में पत्रकार एवं कामगारों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तत्काल बकाए राशि को 2012 से ही अब तक 12 प्रतिशत सूद के साथ भुगतान करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस बकाए राशि को एक महीने के भीतर भुगतान करने को आदेश दिया है।


कामगारों की ओर से चंद्रशेखर प्रसाद सिन्हा ने बहस की । वे लगातार 2019 से लेकर 2023 तक कामगारों के पक्ष में अनवरत खड़े  रहे जबकि टाइम्स ऑफ इंडिया की तरफ से आलोक सिन्हा एवं अन्य चार एडवोकेट की टीम काम कर रही थी।

पटना से दिनेश कुमार 

महासचिव 

बिहार पत्रकार संघ, 

पटना।

संयोजक, 

मजीठिया संघर्ष समन्वय समित,बिहार

Friday, 23 June 2023

मजीठिया के बाद पीएफ की लड़ाई भी जीते कुणाल, मिले 10 लाख रुपये

 


- मजीठिया वेज बोर्ड के तहत पहले ही पा चुके हैं 24 लाख रुपये


- प्रभात खबर अखबार को एक और झटका 


देश में मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वेतन पाने वाले पहले पत्रकार कुणाल प्रियदर्शी के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गयी है।अब वे मजीठिया वेतनमान के तहत पीएफ की राशि हासिल करने वाले भी देश के पहले पत्रकार बन गये हैं। पीएफ कमिशनर के आदेश पर प्रभात खबर की  न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड प्रबंधन को उनके पीएफ अकाउंट में करीब 10 लाख रुपये जमा करने को मजबूर होना पड़ा है। इसमें बैक अमाउंट के साथ ब्याज भी शामिल है। कुणाल को इस उपलब्धि के लिए करीब तीन साल तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। कुणाल मुजफ्फरपुर जिले के मेघ रतवारा के मूल निवासी हैं।

 

वर्ष 2018 में उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड अवार्ड के तहत वेतन के लिए कानूनी लड़ाई शुरू की थी। जून 2020 में लेबर कोर्ट मुजफ्फरपुर से उनके पक्ष में अवार्ड पारित हुआ। इसमें कंपनी को बकाये राशि के भुगतान का आदेश दिया गया, वहीं कुणाल को पीएफ की बकाया राशि के लिए इपीएफ एक्ट का सहारा लेने का निर्देश दिया गया। कोर्ट के निर्देश पर कुणाल ने 2020 में ही इपीएफ एक्ट के तहत इपीएफ कमिश्नर रांची के यहाँ आवेदन दाखिल किया। करीब तीन साल तक लम्बी लड़ाई चली।इस दौरान कई बार कंपनी की ओर से  झूठे तर्क दिए गये। यहाँ तक कि इपीएफ की गणना में वेरिएबल पे को शामिल करने पर भी सवाल उठाये गए पर, कुणाल के तर्कों से संतुष्ट होकर इपीएफ कमिश्नर ने कंपनी को सात दिनों के भीतर इपीएफ की बकाया राशि ब्याज सहित इपीएफ अकाउंट में जमा करने का आदेश दिया। आखिर में कंपनी को 9.46 लाख रूपये इपीएफ अकाउंट में जमा करने को मजबूर होना पड़ा।जानकारी हो कि न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड प्रभात खबर के नाम से दैनिक हिंदी समाचारपत्र प्रकाशित करती है। कुणाल उसमें न्यूज़राइटर के रूप में काम करते हैं. वर्ष 2022 में सिविल कोर्ट मुजफ्फरपुर में एग्जीक्यूशन केस में जीत हासिल करने पर उन्हें करीब 24 लाख रुपये प्राप्त हुए थे। यह राशि उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड अवार्ड के तहत बकाये वेतन के रूप में मिला था।


शशिकान्त सिंह

पत्रकार और आरटीआई  कार्यकर्ता तथा उपाध्यक्ष न्यूज़ पेपर एम्प्लॉयज यूनियन ऑफ इंडिया (एनईयूआई)


9322411335

Friday, 12 May 2023

"डी. बी. कॉर्प लि." बड़ा झटका, फुल बैक वेजेस के साथ ही गोंसाल्विस को नौकरी पर रखने का आदेश

अस्बर्ट गोंसाल्विस

मुंबई से एक बड़ी खबर आ रही है... यहां के माननीय लेबर कोर्ट से "डी. बी. कॉर्प लि." को बड़ा झटका लगा है ! 8वें लेबर कोर्ट की जज श्रीमती एस. एम. औंधकर ने अस्बर्ट गोंसाल्विस को न सिर्फ नौकरी पर पुनः रखने का आदेश दिया है, बल्कि आदेश में अस्बर्ट को फुल बैक वेजेस भी प्राप्त करने योग्य माना है ।


आपको बता दें कि "डी. बी. कॉर्प लि." नामक मातृ कंपनी के अंतर्गत भारत में मुख्य रूप से तीन अखबारों का प्रकाशन किया जाता है - 'दैनिक भास्कर' (हिंदी), 'दिव्य भास्कर' (गुजराती) और 'दिव्य मराठी' (मराठी) । सन् 2008 के फरवरी महीने में "डी. बी. कॉर्प लि." (दैनिक भास्कर) ने मुंबई स्थित अपने कार्यालय में अस्बर्ट गोंसाल्विस (एंप्लॉई कोड: 13688) की जब सिस्टम (कंप्यूटर) इंजीनियर के तौर पर नियुक्ति की, तब से सन् 2016 के मध्य तक सब कुछ ठीक-ठाक चला... समय-समय पर अस्बर्ट का इंक्रीमेंट भी होता रहा ! लेकिन इसी दौरान अस्बर्ट ने मजीठिया अवॉर्ड की मांग क्या कर दी, कंपनी में मानो भूचाल आ गया !! अब कंपनी को अस्बर्ट में कमियां ही कमियां नज़र आने लगीं और आखिरकार 31 अगस्त, 2016 को उन्हें टर्मिनेट कर दिया गया !!!



अस्बर्ट गोंसाल्विस ने मुंबई स्थित लेबर कमिश्नर के समक्ष इसकी शिकायत की, जहां महीनों तक चली सुनवाई के बाद मामले को माननीय श्रम न्यायालय में भेज दिया गया । यहां बरसों तक चली सुनवाई के दौरान कंपनी ने ऐसे हर दांव-पेंच आजमाए, जिसके चलते मामले को ज्यादा से ज्यादा डिले किया जा सके... कोरोना काल ने भी इसमें कंपनी की काफी मदद की । बहरहाल, कहते हैं न- जाको राखे साइयां... सन् 2022 के मध्य में अदालत के समक्ष "डी. बी. कॉर्प लि." (मुंबई) की एचआर हेड अक्षता करंगुटकर की पहली गवाही हुई, तत्पश्चात आईटी हेड शिवेन्द्र शर्मा की गवाही की डेट सुनिश्चित की गई । लेकिन अपना एफिडेविट देने के बावजूद शर्मा करीब 8 महीने बाद गवाही देने से पीछे हट गए, जिसके बाद फर्स्ट पार्टी (डी. बी. कॉर्प लि.) के वकील वी. बी. कांबले और सेकंड पार्टी (अस्बर्ट गोंसाल्विस) के वकील विनोद शेट्टी के बीच अदालत में बहस की शुरुआत हुई ।


'दैनिक भास्कर' (डी. बी. कॉर्प लि.) का आरोप था कि अस्बर्ट वर्कमैन नहीं हैं, वह एडमिनिस्ट्रेटिव कैपेसिटी में आते हैं । इस कारण अस्बर्ट सेक्शन 25 की परिभाषा में नहीं आते, साथ ही 20 (जे) फॉर्म पर दस्तखत करने की वजह से वह किसी भी बेनिफिट के पात्र नहीं हैं ! कंपनी का कहना था कि अस्बर्ट के खिलाफ लगातार शिकायतें आ रही थीं... अस्बर्ट को बार-बार चेतावनी दी गई थी और अपना काम व व्यवहार सुधारने के लिए उन्हें तीन महीने का समय भी दिया गया था, पर कोई सुधार / बदलाव नहीं होने के कारण 'दैनिक भास्कर' प्रबंधन के पास उन्हें टर्मिनेट करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था !!


इसके जवाब में अस्बर्ट के विद्वान वकील शेट्टी के रखे तर्कों और सबूतों से अदालत पूरी तरह सहमत और संतुष्ट नज़र आई, मसलन- अस्बर्ट परमानेंट एंप्लॉई थे, जिन्हें कोई चार्जशीट नहीं दी गई... 30 अगस्त, 2016 को ई-मेल करके उन्हें सीधे टर्मिनेट कर दिया गया, जो कि पूरी तरह गैर-कानूनी था ! यही नहीं, अदालत ने कांबले के सायटेशन को जहां केस से संबंधित मानने से इनकार कर दिया और कहा कि वे फर्स्ट पार्टी (डी. बी. कॉर्प लि.) की मदद नहीं करते, वहीं शेट्टी द्वारा प्रस्तुत सायटेशन को केस से संबंधित माना कि वे लीगल होने का समर्थन करते हैं ।


माननीय जज ने इश्यूज से संबंधित अपने ऑब्जर्वेशन में भी कहा है- 'यह सिद्ध करना फर्स्ट पार्टी का दायित्व था कि वह सिद्ध करे, अस्बर्ट वर्कमैन नहीं हैं... फर्स्ट पार्टी यह सिद्ध नहीं कर पाई । दूसरी ओर यह सिद्ध करने का दायित्व सेकंड पार्टी (अस्बर्ट गोंसाल्विस) का था कि वह सिद्ध करे कि उसका टर्मिनेशन इल्लीगल है... अस्बर्ट को यदि 6 इंक्रीमेंट मिले हैं तो फिर वह नाकारा कैसे हुए ? अक्षता करंगुटकर ने अस्बर्ट के खिलाफ मौखिक शिकायतें मिलने की बात तो मानी, पर इसके समर्थन में वह कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाईं ।' गौरतलब है कि फर्स्ट पार्टी तो यह भी सिद्ध नहीं कर पाई कि शिवेन्द्र शर्मा के पास अस्बर्ट को टर्मिनेट करने का अधिकार था... अस्बर्ट के अप्वाइंटमेंट लेटर में क्लॉज होने के बावजूद कंपनी द्वारा उन्हें नोटिस पीरियड के एक महीने की सैलरी का न तो प्रूफ दिया गया, न ही कंपनी ने अस्बर्ट को रिलीविंग लेटर इश्यू किया ।


माननीय अदालत ने यह भी पाया कि 'आरोप लगने के ही कारण अस्बर्ट को कहीं भी नौकरी नहीं मिली, इसलिए उन्हें अब तक बेरोजगार रखने की जिम्मेदारी पूरी तरह "डी. बी. कॉर्प लि." की है । अस्बर्ट का टर्मिनेशन इल्लीगल है और वह विक्टिमाइज हुए हैं !' इन सभी तथ्यों और तर्कों संग अस्बर्ट गोंसाल्विस के सर्विस के पीरियड को देखते हुए जज श्रीमती औंधकर ने अपना फैसला सुनाया है- 'सेकंड पार्टी 1 सितंबर, 2016 से अब तक फुल बैक वेजेस के साथ-साथ कंपनी द्वारा प्रदत्त अन्य लाभ पाने एवं नौकरी पर पुनः रखे जाने की अधिकारी है ।' आखिर में अदालत ने स्टेट गवर्नमेंट को निर्देश दिया है कि अस्बर्ट गोंसाल्विस के अवॉर्ड के अनुपालन हेतु वह समुचित कदम उठाए !


बहरहाल, "डी. बी. कॉर्प लि." के विरुद्ध आए इस फैसले से देश भर के पत्रकारों में उत्साह की लहर है ! इस जीत का श्रेय सत्य और अपनी टीम को दे रहे अस्बर्ट गोंसाल्विस ने बड़ी सधी हुई प्रतिक्रिया व्यक्त की है- 'मुझे तो पता था कि मैं सही हूं, लेकिन अदालत को यह विश्वास दिलाना मेरे वकील शेट्टी सर के हाथ में था । सर ने बहुत मजबूती से मेरा पक्ष रखा, जबकि मेरा धैर्य बनाए रखने और हौसला बढ़ाने में मेरी पूरी टीम का योगदान है... खासकर, हमारी 'न्यूजपेपर एंप्लॉईज यूनियन ऑफ़ इंडिया' (NEU India) के जनरल सेक्रेटरी धर्मेन्द्र प्रताप सिंह और वाइस प्रेसीडेंट शशिकांत सिंह से मिले सहयोग के लिए मैं उनका सदैव आभारी रहूंगा !' आगामी 14 मई को अस्बर्ट का जन्मदिन है... बधाई !

Thursday, 11 May 2023

मजीठियाः फिर हारा दैनिक जागरण, पूजा झा को देने होंगे 20.78 लाख, 7% ब्याज अलग


मजीठिया वेजबोर्ड मामले में देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण को एक बार फिर श्रम न्यायालय से पराजय का सामना करना पड़ा है। उत्तर प्रदेश की नोएडा की श्रम अदालत ने दैनिक जागरण की महिला कर्मचारी पूजा झा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया है कि दैनिक जागरण दो महीने के अंदर पूजा झा को 20 लाख 78 हजार 410 रुपये का भुगतान करे। दैनिक जागरण को 7 प्रतिशत ब्याज का भुगतान भी करना होगा।

पूजा झा एक अगस्त 2011 को ग्राफिक्स डिजाइनर (ट्रेनी) के रूप में दैनिक जागरण में भर्ती हुई थी। मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतन मांगने पर पूजा झा के खिलाफ कारवाई की गई। पहले दैनिक जागरण ने पूजा को अपरेंटिस माना और कहा कि वे वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 17 (1) के तहत जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले में लाभ पाने की अधिकारी नहीं हैं। मगर पूजा ने कहा कि वे एक साल बाद ही स्थायी हो गई थीं। श्रम अदालत के पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार गुप्ता ने पूजा झा के तर्क को सही माना और मैसर्स जागरण प्रकाशन लि. को आदेश दिया कि दो महीने के अंदर पूजा झा को 20 लाख 78 हजार 410 रुपये का भुगतान मय 7 प्रतिशत ब्याज के साथ किया जाए। फिलहाल इस खबर से दैनिक जागरण के कर्मचारियों में खुशी का माहौल है। पूजा झा की तरफ से उनका पक्ष अधिवक्ता राजुल गर्ग ने रखा।

शशिकांत सिंह

पत्रकार और मजीठिया क्रातिकारी

9322411335