Sunday, 10 December 2017

न्याय के मंदिर में बैठा अन्यायी अफसर!

कानपुर। सदियों से कानपुर मजदूरों का हब कहलाता आया है। यहां उप श्रमायुक्त कार्यालय में अनेक अफसर भी आते रहे है जो श्रमिकों की समस्याओं पर गौर करके तुरंत कार्रवाई का आदेश भी देते रहे है। उन अफसरों में से एक है sp शुक्ला जी। जो इन दिनों मुख्यालय में है। उनके द्वारा कई लोगों को न्याय मिलता आया है। लेकिन इस एक वर्ष से ऐसे अधिकारी की यहां तैनाती हो गयी है कि न्याय तो दूर उनका बना बनाया काम भी बिगाड दिया जाता है।

बताया जाता है कि मजीठिया मामले में रिकवरी दाखिल करने वाले लोग लगभग एक साल से अधिक समय से वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 की  धारा 17 के तहत क्लेम लगाए हुए है लेकिन उन सबका सही रेफरेन्स नहीं कर रहे हैं,  जिसके एवज में मालिकानों से अच्छी खासी सेटिंग चल रही है। कर्मचारियों को जब तक इस गड़बड़ी का पता चलता है तब तक उनका काफी समय जाया हो जाता है, जिससे बेचारे कर्मचारी फिर रेफरेन्स कराने उप श्रमायुक्त के पास चक्कर काट रहे है। लेकिन महाशय ऐसे है कि हफ्तों बीतने के बाद भी फ़ाइल मुख्यालय नही भेज रहे है। वाह रे न्याय का मंदिर कहे जाने वाले श्रम विभाग के निरंकुश अफसर। माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के बाद भी कानों में जूँ नही रेंग रही है?

अगर ऎसे ही हालात रहे तो एक न एक दिन अवमानना के आरोप में जरूर जेल की हवा खानी पड़ेगी। कब तक किसी फ़ाइल को दबाये बैठे रहोगे। एक न एक दिन न्याय जरूर मिलेगा!
उल्लेखनीय है कि पूर्व में सहायक श्रमायुक्त रवि श्रीवास्तव से कर्मचारी (अखबार में कार्यरत) परेशान थे उससे ज्यादा अब इस कार्यालय की कमान संभाले अफसर से लोग परेशान है।

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Thursday, 7 December 2017

मजीठिया: महाराष्ट्र के लेबर विभाग ने औद्योगिक न्यायालय को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए लिखा पत्र

मुंबई। महाराष्ट्र के लेबर विभाग ने 18 नवंबर 2017 को अपने एक पत्र में औद्योगिक/कामगार न्यायालय, मुंबई को लिखकर कहा है की  मा. सर्वोच्‍च न्यायालय ने 13-10-2017 को मजीठिया मामले में 17(2) के तहत रिकवरी के केसों को 6 महीने के अंदर निपटाने के आदेश दिए हैं। 

इसी आदेश का पालन करते हुए लेबर विभाग ने औद्योगिक/कामगार न्यायालय को कहा कि 17(2) के तहत रिकवरी के मामले 6 महीने में निपटाए।

विजय नवल 
[औरंगाबाद]

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डीबी कार्प के खिलाफ पीएफ विभाग ने शुरु की जांच

केन्द्रीय भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय कार्यालय औरंगाबाद ने दैनिक भास्‍कर की प्रबंधन कंपनी डीबी कार्प के खिलाफ इस कंपनी के कर्मचारी सुधीर जगदाले की शिकायत पर जांच शुरु कर दी है। क्षेत्रीय भविष्यनिधि आयुक्त -1 प्रभारी अधिकारी एम एच वारसी ने 8 नवंबर 2017 को सुधीर जगदाले को लिखे पत्र में यह जानकारी दी है। 

सुधीर जगदाले का आरोेप है कि वे डीबी कार्प के दैनिक दिव्य मराठी समाचार पत्र में काम करते हैं और कंपनी उनका पीएफ सिर्फ बेसिक पर काट रही है जो पूरी तरह गलत है। सुधीर जगदाले का आरोेप है कि डीबी कार्प दैनिक दिव्य मराठी के अधिकांश  कर्मचारियों का बेसिक पर ही पीएफ काट रही है और उन्हे डीए की सुविधा नहीं दी जा रही है। 

सूत्र बताते हैं कि डीबी कार्प इस मामले में जांच के दौरान पीएफ कार्यालय को कोई ठोस सबूत नहीं दे पाया कि वह कर्मचारियों के सिर्फ बेसिक से ही पीएफ कटौती क्यों कर रहा है। इस मामले में सुधीर जगदाले ने आरोप लगाया है कि डीबी कार्प के कार्मिक विभाग के अधिकारी टालमटोल भी कर रहे हैं। सुधीर जगदाले ने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ मजीठिया वेजबोर्ड मामले में क्लेम लगा रखा है जिसकी सुनवाई चल रही है।  

शशिकांत सिंह  
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट 
९३२२४११३३५ 


नोट: (मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार पीएफ की गणना बेसिक, वेरियवल पे और डीए के जोड़ पर होनी है।जिसमें कर्मचारी और संस्‍थान का 12-12 फीसदी शामिल है। )  



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'I won the first phase of battle against Dainik Jagran'

I won the first phase of battle against Dainik Jagran. Divisional Labour Commissioner oredered Dainik Jagran prakashan ltd to give my arear within 30 days. If jagran managment fail than from 24th December recovery process will start. Yes, recovery means KURKI against most powerful media organisation in today's regime. 

I am using battle word because media organisation treats Journalist like Begger. Bagger hasn't any right. But i did this "Gustakhi". I demanded and they thrown me out of Delhi to Bastar. I didn't give up. I fought and fought hard for my Self Respect and self belive. "Av manzil dur hai, lekin ladai jari hai." 

[Dhannjay kumar]



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Wednesday, 6 December 2017

मजीठिया: जागरण के मालिक महेंद्र मोहन गुप्त को संयुक्त आयुक्त श्रम का नोटिस

कंपनी के बोर्ड प्रस्ताव के साथ न आने पर एचआर एजीएम शुकला की  हुई फजीहत
शेल कम्पनी कंचन प्रकाशन को लेकर उठा मामला

दैनिक जागरण के मालिक यानी अध्‍यक्ष महेंद्र मोहन गुप्त को श्रम विभाग के संयुक्त आयुक्त डा. वीरेंद्र कुमार ने नोटिस जारी कर कर्मियों के द्वारा दायर किए गए जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड की अनुशंसा को लेकर वाद में पक्ष रखने के लिए तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होनी है। वहीं दैनिक जागरण के पटना के एजीएम, एचआर विनोद शुक्ला के जागरण प्रबंधन के पक्ष में उपस्थिति पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए अधिवक्ता मदन तिवारी ने संबंधित बोर्ड के प्रस्ताव की अधिकृत कागजात की मांग कर एजीएम शुकला की बोलती बंद कर दी। दैनिक जागरण के हजारों कर्मियों को अपने कर्मचारी न मानने के दावे की भी श्रम विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डा. वीरेंद्र कुमार के सामने एजीएम शुकला की हवा निकल गई।

दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुमार को प्रबंधन ने गया से जम्मू तबादला कर दिया था। पंकज कुमार की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड की अनुशंसा के आलोक में वेतन और अन्य सुविधाओं की मांग की थी। पंकज कुमार गम्भीर रूप से पिछले साल बीमार हुए थे। मजीठिया वेजबोर्ड की मांग को लेकर प्रबंधन इतना खफा हो गया कि 92 दिन के उपार्जित अवकाश शेष रहने के बाद भी अक्टूबर और नवंबर 2016 के वेतन में 21 दिनों की कटौती कर दी। पंकज ने प्रबंधन के फैसले के खिलाफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय की शरण में न्याय की गुहार लगाई। एरियर के बकाया 32.90 लाख रुपए के भुगतान की मांग की। साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय से गया से जम्मू तबादला को रद्द करने की गुहार लगाई। सर्वोच्च न्यायालय ने पंकज कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में छह महीने का टाइम बांड कर दिया।

पंकज कुमार सहित दैनिक जागरण के कई कर्मियों के वाद की सुनवाई 5 दिसंबर को पटना के श्रम संसाधन विभाग के संयुक्त आयुक्त डा. वीरेंद्र कुमार के समक्ष हुई। पंकज की तरफ से अधिवक्ता मदन तिवारी ने जागरण की ओर से उपस्थित एजीएम विनोद शुक्ला की उपस्थिति पर सवाल उठाया। अधिवक्ता तिवारी का कहना था कि किस हैसियत से शुक्ला ने जागरण के अध्यक्ष मदन मोहन गुप्ता, सीईओ संजय गुप्ता, सुनील गुप्ता एवं अन्य की ओर से उपस्थिति दर्ज कराई है। एजीएम शुकला ने कम्पनी सेक्रेटरी की एक फोटो कापी दिखाई। फोटो कापी पर शुक्ला को अधिकृत होने की बात कही गई थी।

अधिवक्ता तिवारी ने दलील कि कम्पनी द्वारा पारित किसी भी प्रस्ताव की अभिप्रमाणित प्रति जो बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करने वाले चैयरमेन या निदेशक द्वारा हस्ताक्षरित रहेगी, वहीं प्रति न्यायालय में कम्पनी द्वारा अधिकृत व्यक्ति के शपथ पत्र के साथ दायर की जानी चाहिए। अधिवक्ता तिवारी ने लिखित रूप से आपत्ति दर्ज कराई। उसके बाद न्यायालय ने शुक्ला को निर्देश दिया कि वे बोर्ड के प्रस्ताव की अधिकृत प्रति हलफनामा के साथ दायर करे। अधिवक्ता तिवारी ने श्रम विभाग के द्वारा जागरण के अध्यक्ष मदन मोहन गुप्ता सहित अन्य निदेशकों के स्थान पर प्रबंधन जागरण को नोटिस जारी करने के मामले को उठाया। संयुक्त आयुक्त डा. वीरेंद्र कुमार ने आपत्ति उठाए जाने पर कहा कि पूर्व में नोटिस जारी किया गया था। लेकिन अब जागरण समूह के अध्यक्ष को नोटिस जारी किया गया है।

जागरण के कई कर्मियों ने श्रम विभाग के संयुक्त आयुक्त वीरेंद्र कुमार को बताया कि एजीएम शुक्ला को ओर से दायर जबाव में कहा गया है कि गोपेश कुमार एवं अन्य कंचन प्रकाशन के कर्मी है। कंचन प्रकाशन के साथ जागरण प्रकाशन का contract प्रिंटिंग के जाब वर्क का है। इसलिए ये सभी दैनिक जागरण के कर्मचारी नहीं है।
अधिवक्ता तिवारी ने संयुक्त आयुक्त वीरेंद्र कुमार के सामने न्‍यूज पेपर रजिस्ट्रेशन एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी अखबार एवं पत्रिका को अपने अखबार में अनिवार्य अधिघोषणा में उस प्रेस का नाम पता देना जरूरी है। जहां अखबार प्रिन्ट होता है। उस प्रेस का नाम पता अनिवार्य है। लेकिन जागरण के किसी भी एडीशन में कंचन प्रकाशन को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई या की जा रही है। ऐसे में न्यूज पेपर रजिस्ट्रेशन एक्ट का उल्लघंन जागरण प्रकाशन कर रहा है। ऐसे में अनिवार्य अधिघोषणा न करने के नियम का न पालन करने के कारण अखबार का निबंधन भी रद्द हो सकता है।

[मजीठिया क्रांतिकारी ग्रुप से साभार]


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Tuesday, 5 December 2017

मजीठिया: कर्मचारियों के द्वेषपूर्ण तबादला मामले में कोर्ट ने भास्कर को फटकारा

कोर्ट ने कहा- जब तक केस का फैसला नहीं हो जाता कर्मचारियों को होशंगाबाद में ही पूर्ववत् करने दें काम, अप्रैल से अब तक का पूरा वेतन भी दें तत्काल

टांसफर पर यथास्थिति आदेश के बावजूद कंपनी ने अप्रैल से बैठा दिया था घर


मजीठिया रिकवरी केस की सुनवाई के दौरान द्वेषपूर्ण तरीके से रायपुर स्थानांतरित किए गए तीन कर्मचारियों के मामले में लेबर कोर्ट ने दैनिक भास्कर को कड़ी फटकार लगाई है। कर्मचारियों को मई से अब तक का पूरा वेतन देने और फैसला होने तक होशंगाबाद में ही कार्य करवाए जाने का आदेश कोर्ट ने दिया है। मामले में कर्मचारियों ने बिना विलंब किए जबलपुर हाईकोर्ट में कैवियट भी फाइल कर दी है। अब यदि भास्कर ने लेबर कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील भी की तो कर्मचारियों का पक्ष सुने बिना भास्कर को कोर्ट से किसी प्रकार की अंतरिम राहत नहीं मिलेगी।

होशंगाबाद से एक बार फिर दैनिक भास्कर प्रबंधन के होश उड़ा देने वाली खबर आई है। मजीठिया वेजबोर्ड की रिकवरी केस लगाने पर यहां के तीन कर्मचारियों प्रणय मालवीय, नरेंद्र कुमार और वीरेंद्र सिंह को भास्कर प्रबंधन ने द्वेषपूर्वक रायपुर स्थानांतरित कर दिया था जिस पर लेबर कोर्ट ने रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। चूंकि इन कर्मचारियों ने कोर्ट में शिकायत की हुई थी इसलिए रायपुर जाइन नहीं किया, वहीं भास्कर प्रबंधन ने एकतरफा रिलीव कर दिया और कोर्ट आदेश के बावजूद होशंगाबाद में जाइन नहीं करने दिया।

इसके बाद प्रबंधन ने कर्मचारियों को आर्थिक रुप से प्रताड़ित करने के लिए काम नही ंतो वेतन नहीं सिद्धांत की आड़ लेकर मई से वेतन रोक लिया जिसे कर्मचारियों के अधिवक्ता श्री महेश शर्मा द्वारा कोर्ट के समक्ष दमदारी से उठाया गया। इसपर कोर्ट ने भास्कर प्रबंधन द्वारा कोर्ट आदेश की मनमानी व्याख्या पर प्रबंधन को कड़ी फटकार लगाते हुए आदेश दिया कि जब तक केस का फैसला नहीं हो जाता कर्मचारियों से होशंगाबाद में ही कार्य करवाया जाए। साथ ही तीनों कर्मचारियों को मई से रोके गए पूरे वेतन का भुगतान करने का भी आदेश दिया। मामले में जल्द फैसला हो इसके लिए कोर्ट ने अगली सुनवाई 15 दिसंबर को ही तय की है।

उधर, इस आदेश से भास्कर प्रबंधन उबर भी नहीं पाया था और कर्मचारियों ने स्टे और वेतन के मामले में ताबड़तोड़ तैयारी कर सोमवार को ही जबलपुर हाईकोर्ट में कैवियट भी फाइल कर दी ताकि भास्कर मैनेजमेंट इस मामले में कोई एकतरफा अंतरिम राहत न ले ले। इतनी जल्दी दो-दो बड़े झटके से दैनिक भास्कर प्रबंधन सकते में है। मामले में भास्कर की गलती स्पष्ट उजागर हो रही है इसलिए इस बात की संभावना कम ही है कि उसे हाई कोर्ट से कोई स्टे मिले; यदि ऐसा हुआ तो अगली सुनवाई से पहले भास्कर को इन तीनों कर्मचारियों को बकाया सैलरी देने के साथ ही होशंगाबाद में ही पूर्ववत कार्य पर रखना होगा अन्यथा प्रबंधन पर लेबर कोर्ट की अवमानना का भी मामला बन जाएगा।

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मजीठिया: श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने दिए डी.बी.कार्प के खिलाफ कार्रवाई के आदेश

भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (वेतनमंडल अनुभाग )  नयी दिल्ली ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद निवासी मीडियाकर्मी सुधीर जगदाले की शिकायत पर महाराष्ट्र के श्रम विभाग के मुख्य सचिव(श्रम) को २० नवंबर २०१७ को एक पत्र लिखकर इस मामले पर कारवाई करने का आदेश दिया है। मामला जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड से जुड़ा है। सुधीर जगदाले ने आरोप लगाया है कि डीबी कार्प मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं कर रहा है। जिसके बाद भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अवर सचिव नविल कपूर ने महाराष्टÑ सरकार के मुख्य सचिव (श्रम) को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि सुधीर जगदाले औैरंगाबाद,   महाराष्ट्र द्वारा प्राप्त पत्र २३ अगस्त २०१७ की प्रति प्रेषित की जाती है। इस संबंध में आपके द्वारा की गयी कारवाई हेतु अग्रेसित किया गया था। इस संबंध में आप द्वारा की गयी कार्रवाई  की सूचना अब तक इस मंत्रालय को प्राप्त नहीं हुुयी है। आपसे पुन: अनुरोध है कि उक्त शिकायत के संबंध में उचित कारवाई किया जाये। आप भी पढ़ियेश्रम एवं रोजगार मंत्रालय का पत्र ।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टीविस्ट
९३२२४११३३५


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