मणिसाना बेजबोर्ड मामले में जयपुर की एक अदालत ने दैनिक भास्कर प्रबंधन को बार-बार मौका दिया कि वह अपना पक्ष रखे मगर दैनिक भास्कर प्रबंधन या उनका प्रतिनिधि अदालत में हाजिर नहीं हुआ जिसके बाद जयपुर की अदालत ने दैनिक भास्कर के प्रबंधन को जवाब देने का मौका ही समाप्त कर दिया।
बताते हैं कि दैनिक भास्कर के कई कर्मचारियों द्वारा मणिसाना वेज बोर्ड की सिफारिशों के अंतर्गत बकाया राशि पाने हेतु दैनिक भास्कर के विरुद्ध केस फाइल किया गया है जिसकी सुनवाई जयपुर के श्रम न्यायालय प्रथम में चल रही है।
इस सुनवाई के दौरान माननीय न्यायाधीश महोदय ने दैनिक भास्कर प्रबंधन को चार मार्च 2021, 12 अप्रैल 2021, 2 सितंबर 2021 और 17 नवंबर 2021 जवाब देने का मौका दिया मगर भास्कर प्रबंधन ने जवाब नहीं दाखिल किया जिसके बाद श्रम न्यायालय प्रथम ने एक आदेश जारी कर साफ कर दिया कि अब बार-बार अवसर देने के बाद भी भास्कर प्रबंधन ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद 6 अक्टूबर को अदालत ने दैनिक भास्कर के प्रबंधन का जवाब देने का मौका समाप्त कर दिया।
अचरज की बात यह है कि दैनिक भास्कर प्रबंधन ने मणिसाना बेज वोर्ड मामले में 25 जुलाई 2005 को एक शपथपत्र देकर साफ किया था कि वह अपने कर्मचारियों को मणिसाना वेज बोर्ड का लाभ दे रहा है। उसने अपने शपथपत्र में उस समय अपने कर्मचारियों की संख्या तक बताई थी और कहा था कि उसके समाचार पत्र में जयपुर में श्रमजीवी पत्रकारों की संख्या 43 है और गैर श्रमजीवी पत्रकारों में पुरुषों की संख्या 94 और महिलाओं की संख्या 14 है। इस तरह गैर श्रमजीवी पत्रकारों की संख्या 108 है।
दैनिक भास्कर ने अपने कर्मचारियों में अन्य कर्मचारियों की संख्या पुरुष 247 तथा महिलाएं 7 इस तरह कुल 254 अन्य कर्मचारी बताया था। जयपुर में जिन कर्मचारियों ने मणिसाना वेज बोर्ड के तहत बकाया पाने का मामला श्रम न्यायालय में लगाया है उनकी बकाया राशि एक करोड़ से तीन करोड़ रुपए तक है। इन कर्मचारियों में अधिकांश ने मनिसाना वेज बोर्ड के साथ – साथ श्रम न्यायालय में जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के तहत भी मुकदमा कर रखा है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता
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