नई
दिल्ली। फैसले की घड़ी आ चुकी है और काउंट डाउन शुरू हो चुका है। समाचार
पत्रों में काम करने वाले कामगार पत्रकार और गैर पत्रकार खासे उत्साहित हैं। जिन
लोगों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में केस किया है सिर्फ वही नहीं बल्कि जिन लोगों ने
केस नहीं किया है वह भी अब फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सभी लोग 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली
सुनवाई और फैसले की तरफ टककटी लगाए हुए हैं। कामगारों को जहां भरोसा है कि माननीय
सुप्रीम कोर्ट में उन्हें न्याय मिलेगा वहीं समाचार पत्र मालिकों को कोर्ट के
कोपभाजन बनने का डर सता रहा है। उनकी धड़कनें तेज है कि कहीं सुप्रीम कोर्ट उन्हें
जेल ना भेज दे।
हाल
के दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से फैसले सुनाए हैं उससे यही संकेत मिलता
है कि गलत करने वालों को सजा अवश्य मिलेगी भले ही वह कितना भी ताकतवर क्यों ना हो
और वे किसी तरह से भी दवाब बनवाने की कोशिश कर ले विफलता हाथ लगेगी। समाचार पत्र
मालिकान इस तथ्य से भली भांति अवगत हैं कि वह भले ही सरकार में नुमाइंदगी करने
वाले या फिर पूर्व में मंत्री रह चुके नामचीन वकीलों की लंबी चौड़ी फौज क्यों ना
खड़ी कर लें सुप्रीम कोर्ट के न्याय के तराजू का पलड़ा हर हाल में सच के पक्ष में
झुकेगा।
लेकिन
कहते हैं कि सत्ता और पैसे का नशा सिर चढ़कर बोलता है और करोड़ों अरबों में खेलने
वाले समाचार पत्र मालिकान के सिर से नशा इतनी आसानी से नहीं उतरेगा। यह नशा इमली
या फिर नींबू चटाने से भी नहीं उतरेगा। यह नशा सिर्फ और सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की
चाबुक से उतरेगा। लेकिन यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट से
कामगारों को न्याय दिलाने के लिए उनके वकीलों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। अपने
हक के लिए कामगार संघर्ष तो कर सकते हैं और केंद्र व राज्यों सरकारों तक अपनी बात
बेहतर तरीके से पहुंचा सकते हैं। परंतु जब कानूनी दांवपेंच की बात आती है तो कोर्ट
में उनका वकील ही उनके लिए भगवान से कम नहीं होता। ऐसे में कामगारों के वकीलों की
नैतिक जिम्मेदारी कहीं ज्यादा बढ़ जाती है।
माननीय
सुप्रीम कोर्ट में अदालत की अवमानना का मुकदमा चल रहा है। यह गंभीर किस्म का अपराध
है और इसकी सजा जेल भी हो सकती है। दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका सहित कई समाचार पत्र
के मालिक 20जे
की आड़ लेने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि इस तथ्य से हम सभी भली भांति अवगत हैं कि 20जे कोई मुददा नहीं है और सुप्रीम कोर्ट
की पिछली सुनवाई इसका बेहतरीन उदाहरण है। वर्किंग जनलिस्ट एक्ट की धारा 13 में स्पष्ट रूप से लिखा है कि
न्यूनतम वेतन से कम भुगतान किसी भी दशा में नहीं हो सकता है। वर्किंग जनर्लिस्ट
एक्ट की धारा 16 और
rule 38
में भी कहा गया है कि यदि कहीं कोई विवाद होता है तो वह बात मान्य होगी जो
कर्मचारियों के लिए फायदेमंद होगी। दरअसल मजीठिया वेजबोर्ड की धारा 20जे उन कर्मचारियों के लिए है जो
मजीठिया वेतनमान से अधिक तनख्वाह पा रहे हैं। मजीठिया वेजबोर्ड रिपोर्ट की पैरा 20 की सभी क्लाज को पढ़ने पर यह ज्ञात
होता है कि वेजबोर्ड की सिफारिशों में दिए गए न्यूनतम वेतन से किसी भी दशा कम वेतन
नहीं दिया जा सकता और अधिक वेतन पाने वाले 20जे के तहत अपने अधिकार की रक्षा कर
सकते हैं। 20जे
के तहत वही पत्रकार समझौता कर सकते हैं जिनका वेतन अधिक है। गौर करने वाली बात यह
है कि जिनकी तनख्वाह मजीठिया वेतनमान से कम है वह चाहकर भी 20जे के तहत कोई समझौता नहीं कर सकते
हैं।
हमारे
कई साथी बार-बार सोशल मीडिया के माध्यम से 20जे पर अपने डर को दर्शाते रहते हैं। उन
साथियों से हमारा अनुरोध है 20जे पर प्रबंधन या उनके चमचों द्वारा फैलाए जा दुष्प्रचार के प्रभाव
में ना आएं। 20जे
कोई हौव्वा नहीं है यह केवल आपका मनोबल तोड़ने की चाल है। पत्रकारों को
बु़द्धिजीवी वर्ग माना जाता है। ऐसे में पत्रकारों को गुमराह होने से बचना चाहिए।
कर्मचारियों के वकील अपनी नैतिक जिम्मेदारी को बेहतर ढंग से समझते हैं, उन्हें लंबे समय से संघर्ष कर रहे और
कंपनियों के उत्पीड़न का शिकार होकर सड़क पर घूम रहे सैकड़ों बेरोजगार कामगारों की
पीड़ा का भी पूरी तरह से अहसास है। वे भी जानते हैं कि कामगार अब कोई नई तारीख नहीं
चाहते हैं और इसी तारीख को फैसला चाहते हैं, जोकि कामगारों के हित में भी है। साथ
ही वे कानून के अनुसार मालिकों को सजा होते हुए भी देखना चाहते हैं। जहां तक
कर्मचारियों को मजीठिया वेतनमान के बकाया पैसे मिलने का सवाल है तो वह माननीय
सुप्रीम कोर्ट मालिकों की संपत्ति जब्त कराकर भी दिलाएगा। कर्मचारियों को माननीय
सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ अपने वकीलों पर भी पूरा भरोसा है।
[मजीठिया
की जंग लड़ रहे पत्रकार]
पढ़े-
हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-16F: 20जे की आड़ में अवमानना से नहीं बच सकते http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/01/16f-20.html
पढ़े- हमें क्यों
चाहिए मजीठिया भाग-17E:
20जे पर दूर करें भ्रांतियां http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/03/17e-20.html
दैनिक
भास्कर ग्रुप की सालाना वित्तीय रिपोर्ट डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्न Path का प्रयोग करें- http://investor.bhaskarnet.com/pages/financials.php?id=2
दैनिक
जागरण समूह की सालाना वित्तीय रिपोर्ट डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्न Path
का प्रयोग करें- http://jplcorp.in/new/FinancialReports.aspx
यदि हमसे कहीं तथ्यों या गणना में गलती रह गई हो तो
सूचित अवश्य करें।(patrakarkiawaaz@gmail.com)
#MajithiaWageBoardsSalary,
MajithiaWageBoardsSalary, Majithia Wage Boards Salary
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