नई दिल्ली। रिकवरी को लेबर कोर्ट में भिजवाने से ज्यादा
फायदेमंद उसकी आरसी कटवाना होगा। विभिन्न उप श्रमायुक्तों के यहां मजीठिया के
अनुसार रिकवरी डालने वाले साथियों के मामले में प्रबंधन 20जे की आड़ में व्यर्थ का
विवाद पैदा कर बिना फटिमैन-प्रमोशन जमा करवाए उसे लेबर कोर्ट में भिजवाने की
फिराक में लगा हुआ है। 20जे आपकी आरसी कटवाने में आड़े नहीं आती क्योंकि वर्किंग
जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 13 आपके वेजबोर्ड के अनुसार न्यूनतम वेतनमान पाने के
अधिकार की रक्षा करती है। 20जे असल में क्या है धारा 16 और रुल 38 पढ़ने से समझ
में आ जाएगा। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और भड़ास की तरफ से
कर्मचारियों के लिए मजीठिया का केस लड़ रहे उमेश शर्मा ने दी।
राष्ट्रीय सहारा कर्मचारियों के केस के मामले में दिल्ली
के उप श्रमायुक्त कार्यालय आए उमेश शर्मा ने व़हां उपस्थित साथियों को बताया कि
सभी समाचार पत्र कर्मचारियों ने रिकवरियां धारा 17(1) के तहत लगाई हैं और तो और 14
मार्च 2016 को मजीठिया की सुनवाई के दौरान राज्यों के श्रम आयुक्तों को determinate
करने के आदेश दिए
हैं। जिसका सीधा सा मतलब है कि सभी उप श्रमायुक्त कार्यालय इन मामलों को determinate
कर इसकी रिपोर्ट
अपने-अपने श्रम आयुक्त कार्यालय में जमा करवाएंगे। जिसके बाद राज्यों के सभी
जिलों से आई रिपोर्टों के आधार पर श्रम आयुक्त सुप्रीम कोर्ट में अपने-अपने राज्य
की रिपोर्ट जमा करवाएंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि उप श्रमायुक्त कार्यालय मजीठिया
वेजबोर्ड की रिपोर्ट पढ़कर आसानी से रिकवरी की सही रकम का मूल्यांकन कर सकते हैं।
मजीठिया रिपोर्ट में नया वेतनमान कैसे बनेगा के बारे में विस्तार से जानकारी है।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता
का भी इस मामले में यही मानना है। उनके अनुसार एक बार रिकवरी कटने के बाद यदि उसे
हाईकोर्ट में प्रबंधन द्वारा चुनौती दी जाएगी तो उसकी आधी रकम उसे अदालत के पास
जमा करवानी पड़ेगी। जिससे संस्थान पर भी आर्थिक दबाव पड़ेगा। जरुरत पड़ने पर
कर्मचारी अपनी मजबूरी के अनुसार अदालत में अर्जी देकर उसमें से कुछ रकम अपने लिए
जारी भी करवा सकते हैं।
उधर, उत्तर प्रदेश के एक अन्य अधिवक्ता के अनुसार
आईडी एक्ट की धारा 33(C) के तहत लेबर कोर्ट को वैसे तो इन मामलों का
निपटान तीन महीने में करना होता है। परंतु बहुत ही कम मामलों में ऐसा हो पाता है।
ज्यादातर मामलों के निपटान में लंबा समय लग जाता है। इसलिए उप श्रम आयुक्त
कार्यालय से आरसी कटवाना ही बेहतर विकल्प होगा। जिसके बाद प्रबंधन द्वारा हाईकोर्ट
जाने पर इन मामलों का ज्यादातर चार-पांच तारीखों में ही निपटान हो जाता है।
पूर्ण वर्किंग जर्नलिस्ट
एक्ट डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्न path का प्रयोग करें- https://goo.gl/BdzUHl
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