Monday, 2 October 2017

मजीठिया वेजबोर्ड पर घेरे गए देश के कानून मंत्री

आज मैं धर्मशाला में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से मिला और उनसे मजीठिया वेजबोर्ड को लागू करवाने के लिए  राज्यों पर दबाव बनाने की मांग की। इस पर उन्होंने उल्टा सवाल उछालते हुए कहा कि आप तो हमसे बड़े सवाल पूछते हैं अपने मालिकों से यह सवाल क्यों नहीं पूछते तो मैंने कहा कि देश के हजारों पत्रकार और अखबार कर्मी अपने मालिकों से सवाल भी पूछ रहे हैं और और अपने हक के लिए कानूनी जंग भी लड़ रहे हैं। इसी के चलते वह नौकरियां भी खो चुके हैं । उन्हें बताया गया कि मैं खुद 3 सालों से अपने अखबार मालिकों से सवाल ही पूछ रहा हूं जिसके कारण 3 साल से बिना वेतन के हूं अगर चाहता तो वेतन प्राप्त करके अपना मुंह बंद कर सकता था। इस पर वे कुछ नरम पड़े और पूछने लगे कि क्या जागरण अमर उजाला और पंजाब केसरी ने वेजबोर्ड नहीं दिया है, तो मैंने स्पष्ट किया कि इन तीनों ने ही नहीं देश के लगभग सभी बड़े अखबारों ने मजीठिया वेज बोर्ड को लागू नहीं किया है।

उन्हें बताया गया कि किस तरह अखबार मालिकों ने पत्रकारों को ठेके पर रखने के लिए फर्जी कंपनियां बनाकर उनकी सेवाएं आउट सोर्स कर दी हैं। फिर उन्होंने एक और सवाल दागा और पूछा कि मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई में कौन कौन सी यूनिट में शामिल हैं तो मैंने उन्हें बताया कि देश की कई यूनियनें इस लड़ाई में शामिल हुई थीं। साथ ही उन्हें यह भी बता दिया कि हम जल्द ही इस लड़ाई के लिए एक बड़ी राष्ट्रीय यूनियन बनाने जा रहे हैं और इसके गठन के बाद आप से मिलेंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह  इस मामले में आवश्यक कार्यवाही करेंगे। प्रसाद यहां आईटी विभाग के एक कार्यक्रम में आए थे।

-रविंद्र अग्रवाल
धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश
9816103265, 9736003265
ईमेल आईडी:  ravi76agg@gmail.com

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मजीठिया: मुम्बई के नवभारत अखबार में भी विद्रोह



नवभारत कर्मचारियों ने महाराष्ट्र मीडिया इंप्लाइज यूनियन के बैनर तले शनिवार को विजयादशमी के अवसर पर सानपाड़ा पूर्व स्थित कार्यालय के सामने गेट मीटिंग की। मीटिंग में यूनियन से जुड़े करीब 70 कर्मचारियों के अलावा मिड-डे और डीएनए के कर्मचारी भी शामिल हुए। मीटिंग में नवभारत इकाई के अध्यक्ष केशव सिंह बिष्ट और सचिव अरुण गुप्ता ने अपनी बात रखी।

मीटिंग के दौरान मजीठिया मुद्दे को जोर शोर से उठाया गया। इस दौरान सभी कर्मचारियों ने नवभारत प्रबंधन को देने के लिए एक रिमाइंडर लेटर पर भी सिग्नेचर किया। इस दौरान कर्मचारियों की एकता पर बल दिया गया और कहा गया कि हम सफलता तभी पाएंगे जब एक रहेंगे। नवभारत इकाई के अध्यक्ष बिष्ट ने कहा कि हमारे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, क्योंकि पिछले 20 वर्षों में नवभारत प्रबंधन ने कर्मचारियों का हर स्तर पर शोषण किया है, चाहे वेतन की बात हो या काम के घंटे की बात हो। समय पर वेतन नहीं मिलता, ऊपर से हमेशा कर्मचारियों को तरह तरह की धमकी देते हुए प्रताड़ित किया जाता है। यह सिलसिला पिछले 20 वर्षों से चला आ रहा है, लेकिन अब कर्मचारी जागरूक हुए हैं। वहीं सचिव अरुण गुप्ता ने अध्यक्ष बिष्ट की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है, अब सिर्फ पाना है लेकिन पाने के लिए एकजुट रहना जरूरी है।

मीटिंग के दौरान मजीठिया के अलावा PF का मुद्दा उठा, क्योंकि 1997 से 2005 तक प्रबंधन ने कुछ कर्मचारियों का एक भी पैसा PF नहीं काटा और न ही अपनी ओर से जमा किया है। इसके अलावा जब काटना शुरू किया तो फैक्ट्री की तरह सीलिंग लगाकर काटा जा रहा है। इस संबंध में पीएफ कमिश्नर से की गई शिकायत और उस पर चल रहे काम की जानकारी दी गई। मीटिंग के दौरान मशीनों का भी मुद्दा उठा क्योंकि प्रिंटिंग मशीन का मेंटेनेंस नहीं होने के कारण अखबार की छपाई अच्छी नहीं होती, जिसका दोषारोपण प्रिंटर पर किया जाता है। दो दिन पहले प्रिंटर सागर चौहान को इसलिए नोटिस दिया गया, क्योंकि उसने प्रोडक्शन मैनेजर बंशीलाल राहत द्वारा प्रिंटिंग का मुद्दा उठाने पर सागर द्वारा मशीनों का मेंटेनेंस नहीं किए जाने की बात कही गई थी। यहां पर बंशीलाल ने अपने रिश्तेदारों को मेंटेनेंस डिपार्टमेंट में रखा है, जो बराबर मेंटेनेंस नहीं करते ऊपर से कंपनी से पैसे और ओवरटाइम भी लेते हैं। अंत में सभी कर्मचारियों ने विजयादशमी के अवसर पर नवभारत प्रबंधन रूपी रावण का दहन करने का संकल्प लिया है, क्योंकि यही रावण कर्मचारियों को प्रताड़ित कर रहे हैं और समय पर न तो वेतन दे रहे हैं। मजीठिया की मांग करने पर वह मशीनों की समस्या बताने पर कर्मचारियों को नोटिस पकड़ा रहे हैं।




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मजीठिया: नई दुनिया के निलंबित कर्मियों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन



रायपुर। जागरण प्रकाशन लिमिटेड के समाचार पत्र नई दुनिया के निलंबित 24 कर्मचारियों ने दशहरे के दिन शहर के महत्‍वपूर्ण स्‍थलों पर मौन विरोध प्रदर्शन किया। नई दुनिया ने इन कर्मियों को महज इसलिए निलंबित कर दिया कि उन्‍होंने एचआर हेड की बदसूलकी का विरोध किया था।

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार नई दुनिया रायपुर के एचआर हेड ने एक कर्मी से बदसूलकी की थी। जिसके बाद इन कर्मियों ने 15 सितंबर को इसका विरोध किया था। नई दुनिया प्रबंधन ने विरोध को दबाने के लिए 16 सितंबर को इनके हाजिरी का रिकॉर्ड मिटा कर संस्‍थान में इनके प्रवेश पर रोक लगाते हुए इनका निलंबन कर दिया। जिसके बाद इन कर्मियों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ-साथ श्रम कार्यालय में भी अपनी शिकायत दर्ज करवाई है। शनिवार को दशहरे के दिन इन निलंबित 24 कर्मियों ने काम पर वापस लेने और मजीठिया वेतनमान देने की मांग के साथ शहर भर में मौन विरोध प्रदर्शन किया।

गौरतलब है कि 2012 में जागरण प्रकाशन लिमिटेड द्वारा नई दुनिया को खरीदने के बाद से कर्मियों का लगातार शोषण जारी है। मजीठिया को लागू करवाने को लेकर श्रम विभाग में बातचीत और बैठकों के दौर के बावजूद 24 कर्मचारियों का निलंबन और 4 कर्मियों का जम्‍मू-कश्मीर एवं हरियाणा में ट्रांसफर कर दिया गया। वहां जारी उत्‍पीड़न की वजह से 26 से अधिक कर्मचारी नईदुनिया अखबार छोड़ कर जा चुके हैं। जिसका असर इसकी क्‍वालिटी पर दिख रहा है और अखबार पाठकों के बीच भी अपना विश्‍वास खोता जा रहा है।




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Thursday, 28 September 2017

पीपुल्स समाचार में मजीठिया लागू, आधों को बांटा, आधों को डांटा

भोपाल। पीपुल्स समाचार पत्र की चेयरमैन रुचि विजयर्गीय ने सितम्बर में मजीठिया लागू करने का अपना वादा पूरा किया है, लेकिन यह वादा अभी अधूरा है। पीपुल्स समाचार में आधे कर्मचारियों के वेतन में 5 से 7 हजार रुपए की वेतन वृद्धि की गई है, लेकिन आधे कर्मचारियों के वेतन में एक भी पैसा बढ़ाया नहीं गया है, जिससे उनमें आक्रोश है।
सूत्र बताते हैं कि श्रमायुक्त कार्यालय में कर्मचारियों द्वारा जो सैलरी लिस्ट प्रस्तुत की गई, वह अधूरी पेश की गई थी। इस लिस्ट में जिन कर्मचारियों के नाम थे उनकी वेतन वृद्धि हुई है, बाकि कर्मचारियों के नाम नहीं होने से उनकी वेतन वृद्धि संकट में आ गई है। सूत्रों का कहना है कि जो वेतन वृद्धि की गई है वह मजीठिया के किस ग्रेड के आधार पर की गई यह अभी खुलासा नहीं हुआ है। इधर चेयरमैन विजयवर्गीय आधे कर्मचारियों की वेतन वृद्धि कर खुश है, लेकिन पीपुल्स समाचार में अंदर ही अंदर आक्रोश फैल रहा है। कई कर्मचारी श्रमायुक्त से शिकायत का मन बना चुके हैं। अगर शीघ्र ही वेतन वृद्धि नहीं हुई तो हो सकता है कई केस श्रमायुक्त में दाखिल हो सकते हैं।  आधे वेतन वृद्धि के बाद रुचि विजयवर्गीय की परेशानी और बढ़ सकती है, क्योंकि कर्मचारी पुराने बकाया प्राप्त करने के लिए श्रमायुक्त पर दबाव बना सकते हैं।

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Wednesday, 27 September 2017

मजीठिया: बीमार जागरणकर्मी के जम्मू तबादले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 13 को सुनवाई!

पंकज कुमार वर्सेज यूनियन आॅफ इंडिया रिट याचिका की सुनवाई जस्टिस रंजन गोगई व जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच करेगी


गया से जम्मू तबादला किये गए दैनिक जागरण के पत्रकार पंकज कुमार की रिट याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर को तेनटअतीव  तिथि निर्धारित की है।

जस्टिस रंजन गोगई व जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच सुनवाई करेगी। बिहार के पूर्व कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश नागेन्द्र राय सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता पंकज कुमार की ओर से अदालत में पक्ष रखेंगे।

क्या है मामला

पंकज कुमार दैनिक जागरण के गया कार्यालय में बतौर सब एडिटर कम रिपोर्टर के पद पर कार्यरत है। पिछले साल सितम्बर में पंकज कुमार को पेसमेकर लगाया गया। पूर्व में २००४ में भी पेसमेकर लगा था। पिछले साल अक्टूबर में prostrantgrand का आपरेशन हुआ. बीमार व आर्थिक परेशानी से जुझ रहे पंकज ने मजीठिया वेज बोर्ड की मांग की. जिसके बाद ९२ earnleave रहने के बावजूद २१ दिन की वेतन कटौती मैनेजमेंट के द्वारा कर दी गयी. मैनेजमेंट ने दबाव बनाने के लिए prostratgrand आपरेशन से बीमार व अस्वस्थ पत्रकार पंकज को कार्यालय आकर बायोमेट्रिक हाजिरी लगाने को बाध्य किया. कार्यालय आने के लिए पंकज कुमार daihfher और लुंगी पहनकर असहनीय दर्द के बीच जाते रहे. कई बार el रहते २१ दिन की वेतन कटौती को सामंजस्य करने की पंकज की गुहार को कंपनी ने कोई तवज्जो नहीं दी। मजीठिया का भूत उतारने के लिए १ मार्च से पटना ट्रान्सफर का मौखिक आदेश दिया गया।

पंकज कुमार ने २५ मार्च को श्रम आयुक्त के यहाँ मजीठिया की मांग करते हुए आवेदन दिया। कंपनी ने backdate में २० मार्च की तिथि में जम्मू ट्रान्सफर कर दिया। १ मार्च को प्रेषित कंपनी का ट्रान्सफर आर्डर पंकज को ३ अप्रैल को मिला।

कंपनी की तानाशाही के खिलाफ पंकज कुमार सुप्रीम कोर्ट की शरण में न्याय की गुहार लगाने पहुचे, दो याचिका दाखिल की। 330/2017 rit की सुनवाई १३ अक्टूबर को संभावित है।

इस बीच पंकज कुमार के ट्रान्सफर आर्डर के खिलाफ मगध प्रमंडल के सहायक उप श्रमआयुक्त विजय कुमार का ३० अगस्त का आदेश दैनिक जागरण के मुह पर तमाचा है। उप श्रम आयुक्त विजय कुमार ने अपने आदेश में कहा है कि बीमार व अस्वस्थ पत्रकार पंकज कुमार को गया से जम्मू तबादला मजीठिया की मांग करने के कारण किया गया। आदेश में साफ़ है कि प्रबंधन को ट्रान्सफर करने का अधिकार है, लेकिन अधिकार को कर्मचारी की जायज मांग मागने के कारण उपयोग करना श्रम कानून के हित में नहीं है। उप श्रम आयुक्त विजय कुमार ने अपने आर्डर में साफ़ लिखा है कि पंकज कुमार का ट्रान्सफर आर्डर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। साथ ही कंपनी के खिलाफ़ यह आरोप कि पुष्टि हो गयी कि पंकज कुमार को मजीठिया वेज की अनुशंसा का कोई लाभ देने का एक भी प्रमाण सुनवाई के दौरान देने में कंपनी सफल नहीं हो सकी।

पंकज ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में कंपनी को ३२ लाख ९० हजार का डिमांड नोटिस अगस्त में भेजा। कंपनी की ओर से डिमांड नोटिस का कोई जबाव नहीं आया। जिसके बाद पंकज ने श्रम सचिव को गया के कलेक्टर को रिकवरी सर्टिफिकेट दैनिक जागरण के खिलाफ जारी करने के लिए अनुरोध किया है।

पंकज कुमार की शिकायत पर जागरण कार्यालय पहुचे जिला श्रम अधीक्षक जुबेर अहमद को मैनेजमेंट ने परिसर के अन्दर घुसने नहीं दिया। जागरण पर सर्विस बुक नहीं देने, इपीएफ, स्वास्थ बीमा का लाभ न देने, गया यूनिट का मजीठिया वेज के अनुसार सम्बंदन न होना सहित कई आरोप है। बिहार के श्रम आयुक्त गोपाल मीणा पिछले दो महीने से उप श्रम आयुक्त को आरोप की जाँच कर रिपोर्ट समर्पित करने को कह रहे है। लेकिन श्रम आयुक्त मीणा के आर्डर का अनुपालन उप श्रम आयुक्त डॉ. अपर्णा के स्तर से अब तक नहीं किया गया है।

 
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
९३२२४११३३५


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Tuesday, 26 September 2017

दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर यूएनआई प्रबंधन को 23 लाख रुपए जमा कराने पड़े

आखिरकार दिल्ली हाई कोर्ट के कड़े आदेश पर देश की प्रतिष्ठित समाचार एजेन्सी यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया (यूएनआई) के प्रबंधन को एक वरिष्ठ पत्रकार सहित दो कर्मियों के लम्बित वेतन भुगतान के मद में लगभग 23 लाख रुपए कोर्ट में जमा कराना पड़ा. इसके साथ ही अदालत की तरफ़ से जारी कुर्की की कार्रवाई से प्रबंधन को मुक्ति मिल गयी. हालाँकि हाई कोर्ट ने जुर्माने की 20 प्रतिशत रक़म तत्काल नहीं जमा कराने की प्रबंधन को छूट दे दी.
इससे पूर्व दिल्ली की एक अदालत से जारी कुर्की वारंट को लेकर दिल्ली पुलिस की एक टीम पिछले दिनों यू.एन.आई. मुख्यालय पहुंची थी. प्रबंधन ने रिकवरी आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन हाईकोर्ट के कड़े निर्देश पर प्रबंधन को लगभग 23 लाख रुपए जमा कराने पड़े. यूएनआई बचाओ अभियान से जुड़े वकीलों सर्वश्री अरविन्द चौधरी एवं राहुल झा ने यह जानकारी दी।
संस्थान के ही एक वरिष्ठ पत्रकार के लम्बित वेतन आदि भुगतान के मद में करीब 15 लाख रुपये की रिकवरी के लिए दिल्ली की एक अदालत ने संस्थान के निदेशकों सर्व श्री विश्वास त्रिपाठी एवं प्रफुल्ल महेश्वरी के नाम कुर्की वारंट जारी किया था। श्रम उपायुक्त (नई दिल्ली) की अदालत से जारी आदेश के बावजूद यूएनआई प्रबंधन ने पीड़ित को यह राशि भुगतान नहीं किया था। बाद में विभाग की ओर से इस राशि की रिकवरी के लिए चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत को भेजा गया था।
ऐसा ही एक मामला संस्थान के एक दलित कर्मचारी से जुड़ा है, जिसे श्रम उपायुक्त की अदालत से जारी आदेश के मुताबिक करीब साढे बारह लाख रुपये का भुगतान किया जाना था। इस मामले में भी दिल्ली हाईकोर्ट के कड़े आदेश पर पैसे जमा कराये गये. इस दलित कर्मचारी के प्रताड़ना के मामले में संस्थान के दो पत्रकारों सहित तीन को एससी/ एसटी एक्ट के तहत दिल्ली की एक सत्र अदालत ने 12 दिसंबर 2013 को न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेजा था। यह मामला माननीय उच्च न्यायालय में लम्बित है।

(साभार : भड़ास)

मजीठिया: दूसरी बार भी सुनवाई में नहीं आया एचटी मैनेजमेंट


पटना से दिनेश सिंह
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मजीठिया मामले में एक बार फिर हिन्दुस्तान टाइम्स मैनेजमेंट भाग खड़ा हुआ। कल 25 सितम्बर को श्रम विभाग के उप सचिव अमरेंद्र मिश्र के यहां सुनवाई आरंभ हुई। एचटी मैनेजमेंट की ओर से कोई नहीं आया। एक एडवोकेट आए मगर न तो उसके पास कंपनी की तरफ से दिया हुआ कोई वकालतनामा था और न ही कोई मांगी गई सूचना का कंपलायन्स। दूसरी बार लगातार प्रबंधन की अनुपस्थिति को उप सचिव अमरेंद्र मिश्र ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि यहां कानून से बढ़कर कोई नहीं है।
राकेश गौतम ने खुद पहली बैठक में ही उप सचिव को यह लिखित में दिया था कि पटना संस्करण एक पृथक स्टेबलिशमेंट है और यह दिल्ली से अलग है। उनके इस दावे को कामगारों की ओर से अधिकृत नेता दिनेश सिंह ने चुनौती दी थी कि पटना जब दिल्ली से पृथक एक अलग स्टेबलिशमेंट है तो राकेश गौतम सुनवाई से बाहर निकलें। एडवोकेट भी इस मामले की आरोपी शोभना भरतिया की ओर से वकालतनामा लेकर आएं। यह पिछली बार हुआ था और पुनः दोबारा यही पूरा वाकया दुहराया गया।
उनके बयान ने मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने में हुए घपले का भी राज खुद खोल दिया। उनके खुलासे से यह स्पष्ट हुआ कि एचटी पटना जो अपने रेवेन्यू के चलते आरंभ से ही ग्रुप 1A में रहा है, उसे इस बार राकेश गौतम ने नम्बर तीन में रखा और वह भी महज गिने चुने लोग तक सीमित। कुल मिलाकर पटना में एचआर हेड कोर्ट से लेकर कार्यालय तक हंसी का पात्र बने हुए हैं।

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