कानपुर। सदियों से कानपुर मजदूरों का हब कहलाता आया है। यहां उप श्रमायुक्त कार्यालय में अनेक अफसर भी आते रहे है जो श्रमिकों की समस्याओं पर गौर करके तुरंत कार्रवाई का आदेश भी देते रहे है। उन अफसरों में से एक है sp शुक्ला जी। जो इन दिनों मुख्यालय में है। उनके द्वारा कई लोगों को न्याय मिलता आया है। लेकिन इस एक वर्ष से ऐसे अधिकारी की यहां तैनाती हो गयी है कि न्याय तो दूर उनका बना बनाया काम भी बिगाड दिया जाता है।
बताया जाता है कि मजीठिया मामले में रिकवरी दाखिल करने वाले लोग लगभग एक साल से अधिक समय से वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 की धारा 17 के तहत क्लेम लगाए हुए है लेकिन उन सबका सही रेफरेन्स नहीं कर रहे हैं, जिसके एवज में मालिकानों से अच्छी खासी सेटिंग चल रही है। कर्मचारियों को जब तक इस गड़बड़ी का पता चलता है तब तक उनका काफी समय जाया हो जाता है, जिससे बेचारे कर्मचारी फिर रेफरेन्स कराने उप श्रमायुक्त के पास चक्कर काट रहे है। लेकिन महाशय ऐसे है कि हफ्तों बीतने के बाद भी फ़ाइल मुख्यालय नही भेज रहे है। वाह रे न्याय का मंदिर कहे जाने वाले श्रम विभाग के निरंकुश अफसर। माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के बाद भी कानों में जूँ नही रेंग रही है?
अगर ऎसे ही हालात रहे तो एक न एक दिन अवमानना के आरोप में जरूर जेल की हवा खानी पड़ेगी। कब तक किसी फ़ाइल को दबाये बैठे रहोगे। एक न एक दिन न्याय जरूर मिलेगा!
उल्लेखनीय है कि पूर्व में सहायक श्रमायुक्त रवि श्रीवास्तव से कर्मचारी (अखबार में कार्यरत) परेशान थे उससे ज्यादा अब इस कार्यालय की कमान संभाले अफसर से लोग परेशान है।
#MajithiaWageBoardsSalary, MajithiaWageBoardsSalary, Majithia Wage Boards Salary
बताया जाता है कि मजीठिया मामले में रिकवरी दाखिल करने वाले लोग लगभग एक साल से अधिक समय से वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 की धारा 17 के तहत क्लेम लगाए हुए है लेकिन उन सबका सही रेफरेन्स नहीं कर रहे हैं, जिसके एवज में मालिकानों से अच्छी खासी सेटिंग चल रही है। कर्मचारियों को जब तक इस गड़बड़ी का पता चलता है तब तक उनका काफी समय जाया हो जाता है, जिससे बेचारे कर्मचारी फिर रेफरेन्स कराने उप श्रमायुक्त के पास चक्कर काट रहे है। लेकिन महाशय ऐसे है कि हफ्तों बीतने के बाद भी फ़ाइल मुख्यालय नही भेज रहे है। वाह रे न्याय का मंदिर कहे जाने वाले श्रम विभाग के निरंकुश अफसर। माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के बाद भी कानों में जूँ नही रेंग रही है?
अगर ऎसे ही हालात रहे तो एक न एक दिन अवमानना के आरोप में जरूर जेल की हवा खानी पड़ेगी। कब तक किसी फ़ाइल को दबाये बैठे रहोगे। एक न एक दिन न्याय जरूर मिलेगा!
उल्लेखनीय है कि पूर्व में सहायक श्रमायुक्त रवि श्रीवास्तव से कर्मचारी (अखबार में कार्यरत) परेशान थे उससे ज्यादा अब इस कार्यालय की कमान संभाले अफसर से लोग परेशान है।
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